सीमा पर चीन ने तनाव के जो हालात पैदा किए और उसकी आड़ में नेपाल ने भी जिस तरह भारत को आंखें दिखाई हैं उसके बाद से देश की सुरक्षा एजेंसियां और ज्यादा सतर्क हुई हैं। सीमा पर हुई हिंसक झड़प को देखते हुए देश में चीनी नागरिकों के साथ-साथ नेपाली नागरिकों को लेकर चौकसी बरतने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ ही उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भी राज्य की गुप्तचर इकाइयों को शासन स्तर से सतर्कता बरतते हुए नेपाली नागरिकों के संबंध में जानकारी जुटाये जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बाद राज्य स्तर की गुप्तचर इकाइयां नेपाली नागरिकों की छानबीन में जुट गई हैं। बताया जा रहा है तमाम खुफिया एजेंसियों की निगाहें इस समय पतंजलि ट्रस्ट की विभिन्न इकाइयों में गुपचुप तरीके से रखे गए 5 दर्जन नेपाली युवाओं पर टिकी हुई हैं।
बताया यह भी जा रहा है पतंजलि प्रबंधन से बार-बार जानकारी मांगे जाने के बावजूद जानकारी उपलब्ध न कराने से विभिन्न तरह की आशंकाओं को बल मिल रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2005 में पतंजलि ट्रस्ट के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण के नेपाली नागरिक होने के संबंध में उनकी निष्ठा पर देश के लिए संदेह जताते हुए काफी गंभीर आरोप जड़ते हुए स्थानीय अभिसूचना इकाई द्वारा उस समय हरिद्वार के एसएसपी रहे अभिनव कुमार को सौंपी गई एक रिपोर्ट ने खासा बवाल मचाया था। यही नहीं सीबीआई जांच के पश्चात नागरिकता प्रकरण में आचार्य बालकृष्ण को जेल की हवा तक खानी पड़ी थी सूत्र बता रहे हैं कि पतंजलि ट्रस्ट के अधीन पतंजलि आश्रम कनखल व आचार्यकुलम में 60 से अधिक नेपाली युवा रुके हुए हैं जो आचार्य बालकिशन के काफी नजदीकी माने जाते हैं।
बताया यह भी जा रहा है पिछले दिनों पतंजलि ट्रस्ट में स्वामी रामदेव के परिजनों का बढ़ता वर्चस्व और विषैले पदार्थ के मिलावट वाली मिठाई के प्रकरण को देखते हुए आचार्य बालकृष्ण ने नेपाल से अपने नजदीकी लोगों को बुलाकर रखा हुआ है जिससे वक्त जरूरत पर उनका सहयोग लिया जा सके। यही बात निकलकर पतंजलि ट्रस्ट के अंदरूनी सूत्रों से बाहर तक जा पहुंची है और अब गुप्तचर इकाइयों द्वारा बार-बार जानकारी मांगे जाने के बावजूद नेपाली नागरिकों की जानकारी न देने को लेकर खोजबीन में जुटी एजेंसी असमंजस में है। सूत्र बता रहे हैं कि इस संबंध में पतंजलि ट्रस्ट को कई बार पत्र लिखकर भी जानकारी मांगी जा चुकी है। बावजूद इसके पतंजलि प्रबंधन द्वारा जानकारी न देने पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं दूसरी और पूरे प्रकरण को लेकर खुफिया विभाग के अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।