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मंकीपॉक्स की दस्तक से दहशत

 

कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स की दस्तक से देश दहशत में है। पिछले कुछ दिनों से इसके मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। कई राज्यों में मंकीपॉक्स के करीब दर्जनभर मरीज मिल चुके हैं जो चिंता का विषय है। मौजूदा हालातों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इसे ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है

 

करीब तीन सालों से भारत सहित पूरी दुनिया कोरोना महामारी से महीनों तक कई देशों को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा और करोड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। दुनिया के ज्यादातर देशों को कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक नुकसान भी पहुंचा। काफी समय बाद एक बार फिर से लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट ही रही थी कि मंकीपॉक्स के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। कोरोना का कहर झेल चुके भारत सहित दुनिया मंकीपॉक्स संक्रमण से एक बार फिर दशहत में है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार अब तक 80 देशों से मंकीपॉक्स के 18 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं। इनमें से 70 प्रतिशत केस यूरोप में और 25 फीसदी अमेरिका में मिले हैं। भारत में भी मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। देश के कई राज्यों में मंकीपॉक्स की दस्तक से लोग दहशत में है जो चिंता का विषय है। मौजूदा हालातों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इसे ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है।


क्या है मंकीपॉक्स


इसे कोरोना की तरह ही बीमारी कह सकते हैं, जो संक्रमण से होती है। इसका मतलब है कि मंकीपॉक्स को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इसे रोकने के लिए उचित रोकथाम और सावधानी भी बेहद जरूरी है। मंकीपॉक्स वायरस की गंभीरता को आप इस बात से समझ सकते हैं कि दुनिया में डब्ल्यूएचओ ने अब से पहले सिर्फ 6 बार ही ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है। जिसमें 2020 का कोरोना वायरस, 2019 इबोला, 2016 का जीका वायरस भी शामिल है।


कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस


किसी संक्रमित जानवर के काटने, उसके शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने या उसके खून आदि को छूने से भी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा चूहे और गिलहरी वायरस फैला सकते हैं। वहीं, कुछ मामलों में आप संक्रमित जानवर का कम पका मांस या मांस खाने से भी संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैलता है, लेकिन संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, तौलिए आदि का उपयोग करने से या संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या उसके दाने को छूने से आप संक्रमित हो जाते हैं।


कब हुआ शुरू


वर्ष 2022 में मंकीपॉक्स का पहला केस 6 मई को मिला था और 24 जुलाई तक मंकीपॉक्स के संक्रमण के 16 हजार 3 सौ से ज्यादा केस मिल चुके हैं। इसमें परेशान करने वाली जो बात है, वह यह है कि पिछले महीने 47 देशों में मंकीपॉक्स के सिर्फ 3 हजार 40 केस थे। लेकिन उसके बाद सिर्फ 30 दिन में इसके मरीज 5 गुना बढ़ गए हैं।

 

भारत सरकार ने भी जारी की है गाइडलाइन


मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स को लेकर गाइडलाइन जारी की है, जिसके अनुसार अगर किसी व्यक्ति की बीते 21 दिनों में ऐसे किसी देश की ट्रैवल हिस्ट्री है, जहां पर मंकीपॉक्स का संक्रमण है, तो उसे इन बातों का खास तौर से ध्यान देना जरूरी है। यदि शरीर पर सूंजे हुए लिम्फ नोड या ग्रंथियां मिलने, बुखार, सिर दर्द, शरीर दर्द, कमजोरी लगना, शरीर पर रैशेज के लक्षण दिखाई देने पर स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी इसी बीच वैक्सीन निर्माता अदार पूनावाला ने बताया है कि भारत में इसकी वैक्सीन कब आएगी। वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया मंकीपॉक्स का एक मैसेंजर वैक्सीन विकसित करने के लिए नोवावैक्स से बात कर रहा है। फिलहाल वह आपात स्थिति में मंकीपॉक्स के टीकों को थोक में आयात करने की संभावना तलाश रहे हैं। डेनमार्क के कंपनी बावेरियन नार्डिक से स्मालपॉक्स की वैक्सीन तीन माह में भारत में आ सकती है।


सीरम इंस्टीट्यूट के पास लाइसेंस के तहत थोक में स्मालपॉक्स के वैक्सीन बनाने की क्षमता है। हमें यह भी देखने की जरूरत है कि क्या इसकी वैक्सीन की बहुत अधिक मांग होगी या फिर तीन से चार माह में यह खत्म हो जाएगा। क्योंकि एक वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया कई बार लंबी हो जाती है और इसमें एक वर्ष से अधिक का समय लग सकता है।


पूनावाला ने यह भी बताया कि मंकीपॉक्स की वैक्सीन


कोरोना की वैक्सीन से अलग है। इसमें विभिन्न प्रकार की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल हमारे पास इसकी वैक्सीन नहीं है लेकिन हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पूनावाला का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में मंकीपॉक्स को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है।


कितना घातक है मंकीपॉक्स


विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक किसी संक्रमित शख्स के नजदीकी संपर्क में आने से मंकीपॉक्स हो सकता है। हालांकि यूरोपीय देशों में ज्यादातर पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में यह संक्रमण देखा जा रहा है। संक्रमित जानवरों जैसे बंदरों, चूहों और गिलहरियों से भी फैल सकता है। यह आमतौर पर 14 से 21 दिनों तक रहता है और अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि कुछ मामलों में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।


पश्चिमी अफ्रीका में इससे मौत होने के मामले भी दर्ज किए गए हैं। हालांकि यह एक फीसदी से भी कम हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार सामान्य आबादी में इससे मृत्यु दर 0 से 11फीसदी तक हो सकती है और छोटे बच्चों में यह ज्यादा जानलेवा होने की आशंका है।


कौन-सी वैक्सीन कारगर


इस संक्रमण का फिलहाल कोई उपचार नहीं पर यूरोपीय देशों और अमेरिका में चेचक का टीका इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा। यूरोपीय देश इम्वेनेक्स वैक्सीन लगा रहे, इसे डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नार्डिक ने तैयार किया है। जाइनॉस की भी दो खुराक दी जा रही है।


अफ्रीका में इसके इस्तेमाल के आंकड़े बताते हैं कि यह मंकीपॉक्स को रोकने में 85 फीसदी प्रभावी है। चेचक का टीका एसीएएम 2000 भी काफी प्रभावी है। अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, ब्रिटेन समेत कई देशों में कैंप लगाकर इसे ऐहतियात के तौर पर बुजुर्ग लोगों को दिया जा रहा है।


कैसे लड़ते हैं यह टीके


एसीएएम 2000 वैक्सीन में ऑर्थोपॉक्स वायरस की एक अलग प्रजाति का कमजोर करके डाला गया वायरस होता है। जब ये शरीर में जाता है तो प्रतिरक्षा तंत्र को लगता है कि हमला हो गया और वह इसे खत्म करने में जुट जाता है। इसके बाद जब असल वायरस आता हो तो शरीर उससे लड़ने के लिए पहले से तैयार रहता है। ऐसे में वह ज्यादा गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा पाता। इस वैक्सीन को लैब में काम करने वाले या स्वास्थ्यकर्मी जैसे जोखिमपूर्ण लोगों को लगाया जा रहा है।

 

भारत में कितना बड़ा खतरा


विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में 1980 के दशक तक बच्चों को जन्म के समय ही चेचक के टीके लगा दिए जाते थे। ऐसे में 40 साल से ऊपर वाले ऐसे लोग जिन्हें चेचक के टीके उस समय लगे थे, उन पर अब मंकीपॉक्स का खतरा कम हो सकता है।
संक्रमण पर क्या कहती है रिसर्च मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के डॉ ़मार्टिन हिर्श ने एक अध्ययन में बताया कि कोरोना सांस के जरिए फैलता है और अत्यधिक संक्रामक है मगर मंकीपॉक्स में इस तरह का खतरा नहीं दिखता। अगर किसी को हो जाए तो उसे सबसे पहले उन्हें जांच करानी चाहिए। तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। एक एंटीवायरल दवा जिसे टेकोविरिमैट कहा जाता है, उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दवा अमेरिका और यूरोपीय देशों में मरीजों को दी जा रही है।


क्या शारीरिक संबंध बनाने से फैल रहा वायरस

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदानोम गेब्रेयेसेस ने मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित कर कहा कि इस संक्रमण के खिलाफ सबसे बड़ी सुरक्षा खुद को इसके दायरे में आने से रोकना है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इससे संक्रमित होने वाले करीब 10 प्रतिशत लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उन्होंने कहा कि मई में मंकीपॉक्स का प्रकोप शुरू होने के बाद से जितने भी लोग संक्रमित हुए हैं, उनमें से 98 प्रतिशत गे, बाइसेक्शुअल और अन्य पुरुष हैं, जो पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। इस जोखिम के दायरे में आने वाले लोगों से खुद को बचाने की अपील की है।


सरगंगा राम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ धीरेन गुप्ता के अनुसार, यौन संपर्क के दौरान मंकीपॉक्स फैलता है। इसके साथ-साथ गले लगाने, मालिश करने और चुंबन के साथ-साथ लंबे समय तक आमने-सामने संपर्क से भी वायरस फैलने का खतरा है।


फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के निदेशक और डॉ  मनोज शर्मा ने कहा कि यह स्पष्ट हो चुका है कि मंकीपॉक्स अंतरंग संपर्क से फैलता है। इसलिए सतर्कता बेहद जरूरी है।

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