16 अप्रैल को पालघर मॉब लिंचिंग की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर दिया था। इस दिन दो साधु और एक उनके ड्राइवर की महाराष्ट्र में 200 के करीब लोगों की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। तब कुछ लोगों ने इस मामले को सांप्रदायिक तूल देने के लिए सोशल मीडिया पर चलाया कि मुस्लिमों ने हिंदू साधुओं की हत्या कर दी। हालांकि, इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने थोड़ी देर से एक्शन लिया। लेकिन देर आए दुरुस्त आए वाली कहावत को साबित भी किया।
प्रदेश के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सबसे पहले एक ट्वीट करके यह कहा कि इस मामले पर धार्मिक संप्रदाय की राजनीति करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जो लोग धार्मिक विवाद पैदा करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं बल्कि उन्होंने उसी दौरान कह दिया था कि मरने वाले और मारने वाले अलग-अलग धर्म के लोग नहीं है।
इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने मॉब लिंचिंग के इस मामले में 101 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया। और उनकी गिरफ्तारी भी की। जिनकी बकायदा लिस्ट जारी करते हुए आज गृह मंत्री अनिल देशमुख ने स्पष्ट कर दिया कि हमलावरों में एक भी मुस्लिम नहीं है। इस तरह जाति धर्म के आधार पर राजनीतिक रोटियां सेकने वाले कुछ लोगों के अरमानों पर महाराष्ट्र सरकार ने पानी फेर दिया है।
पालघर लिंचिंग केस में महाराष्ट्र् के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने आज कहा कि अब तक इस मामले में जितने लोग गिरफ्तार हुए हैं, उनमें एक भी मुस्लिम नहीं है। राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बुधवार को कहा कि करीब गिरफ्तार किए गए 101 आरोपियों में एक भी मुस्लिम नहीं है और उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने फेसबुक के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि यह दुर्भाग्य है कि पालघर मामले पर सांप्रदायिक राजनीति हो रही है। कुछ लोग मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं। यह राजनीति करने का समय नहीं है, बल्कि मिलकर कोरोना वायरस से लड़ने का वक्त है। सीआईडी के एक विशेष आईजी स्तर के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं।
उन्होंने कहा की मगर मैं यह बताना चाहूंगा कि पुलिस ने क्राइम के 8 घंटे के भीतर 101 लोगों को गिरफ्तार किया। हम आज व्हाट्सएप्प के जरिए आरोपियों के नाम जारी कर रहे हैं, उस सूची में कोई मुस्लिम नहीं है।
गौरतलब है कि छह दिन पूर्व मुंबई के कांदिवली आश्रम से महाराज कल्पवृक्ष गिरी, सुशील गिरी और ड्राईवर नीलेश तेलगडेे सूरत में एक संत के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे। पालघर सीमा पर पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया। इसके बाद संतों ने दाभाडी-खानवेल मार्ग पर गडचिंचले गांव के रास्ते सूरत जाने की योजना बनाई। इसी दौरान ग्रामीणों की भीड़ ने रोक कर इनकी पिटाई की, जिसमें तीनों की मौत हो गई।