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भारत ने बंद की पाक की  डाक सेवा ,पाकिस्तान को एक और झटका 

भारत सरकार के जम्मू -कश्मीर से अनुछेद 370 हटाए जाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने  23 अगस्त को भारत आने वाली डाक बंद कर दी। साथ ही भारत से जानी वाली डाक भी लेना बंद कर दिया। इसकी जानकारी भारत को नहीं दी गई। डाक विभाग की बुकिंग लौटने लगीं तो डाक भवन, दिल्ली को जानकारी दी गई। तब साफ हुआ कि पाकिस्तान ने भारत की डाक बुकिंग बंद कर दी है।इसके जबाब में भारत सरकार ने पकिस्तान को एक और बड़ा झटका दिया है। उत्तर प्रदेश के आगरा से भारतीय डाक अब पाकिस्तान नहीं जाएगी। डाक विभाग ने पाकिस्तान की डाक बुकिंग बंद कर दी है।  डाक सेवा के पोस्टमास्टर जनरल अंबेश उपमन्यु ने सभी अधीनस्थों को निर्देशित किया है कि वे पाकिस्तान जाने वाली डाक की बुकिंग न करें। पाकिस्तान एक भी डाक नहीं जाएगी।

पाकिस्तान की दर्जनों बेटियों ने ताजनगरी के वाशिंदों से शादी की है। वे शादी के बाद यहां सुकून और प्रेम से रह रही हैं। प्रत्येक त्योहार या उत्सव पर वे परिजनों को डाक के माध्यम से खुशियां भेजती आ रही हैं। लेकिन, अब उनके सामने दिक्कत हो जाएगी।

डाक भवन, दिल्ली से 18 अक्तूबर को निर्देश जारी किए गए। इसमें पाकिस्तान जाने वाली प्रत्येक डाक की बुकिंग तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गए। आगरा रीजन में व्हाट्सएप पर संदेश मिलते ही इस कार्रवाई को अमल में लाया गया। 18 अक्तूबर के बाद से डाक विभाग के आगरा रीजन में पाकिस्तान की डाक बुकिंग बंद है।डाक विभाग के सहायक निदेशक यूपी सिंह सेंगर ने बताया कि ताजनगरी में महीने में करीब 20 डाक पाकिस्तान की बुक होती हैं। दीपावली पर पाकिस्तान की डाक सर्वाधिक बुक होती हैं। अब इनकी बुकिंग पर रोक लगा दी है।

इमरान को मुस्लिम देशों की नसीहत

देश में 28 फॉरेन पोस्ट ऑफिस (एफपीओ) हैं जहां विदेशी कंसाइनमेंट आते हैं। जिसमें से केवल दिल्ली और मुंबई के एफपीओ को पाकिस्तान पत्र भेजने और पत्र स्वीकार करने के लिए अधिकृत किया गया है।केंद्रीय दिल्ली के कोटला मार्ग पर बना एफपीओ छह राज्यों के कंसाइनमेंट के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर कार्य करता है। वह जम्मू-कश्मीर के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से पत्रों को स्वीकार करता है। वहीं मुंबई का एफपीओ बाकी देश के लिए एक्सचेंज ऑफिस के तौर पर कार्य करता है। दिल्ली एफपीओ के अधीक्षक सतीश कुमार ने कहा, ‘पाकिस्तान के अधिकांश डाक इस कार्यालय द्वारा भेजे जाते हैं और उनमें से अधिकांश पंजाब और जम्मू और कश्मीर से होते हैं। यह ज्यादातर अकादमिक और साहित्यिक सामग्री वाले होते हैं।’

पाकिस्तान के भारत में मौजूद प्रेस अटैच ख्वाजा मार तारीक का कहना है कि उन्हें इस मामले के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। भारत और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद साहित्यिक संघों और प्रकाशन घरों को समस्या के शीघ्र समाधान की उम्मीद है। खासतौर से गुरू नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव के लिए। पाकिस्तान इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी के सदस्य जतिन देसाई ने कहा कि ऐसे समय पर इस तरह के प्रथिबंध लगाना बेमानी है जब संचार इंटरनेट से होने लगा है। पत्र अभिव्यक्ति का एक माध्यम हैं।उन्होंने कहा, ‘कोई भी देश इस तरह का अधिकार वापस नहीं ले सकता। मुझे अतीत में इस तरह की कोई घटना याद नहीं आती है। यहां तक की 1965 और कारगिल युद्ध के दौरान भी डाक सेवाओं पर प्रतिबंध नहीं लगा था।’ देसाई ने कहा कि कुछ आधिकारिक संचार डाक सेवाओं के जरिए होता है। जैसे यदि कोई भारतीय मछुआरा गिरफ्तार होता है तो उसका वकील पावर ऑफ एटॉर्नी को कुरियर के जरिए भेजता है क्योंकि अदालतें ईमेल्स को स्वीकार नहीं करती हैं।

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