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सत्ता परिवर्तन के मुहाने पर पाक

पड़ोसी देश पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से सियासी तापमान चरम पर है। दरअसल इमरान की नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के मुख्य गठबंधन सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम) ने विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ हाथ मिला लिया है। इसके साथ ही इमरान सरकार ने पाकिस्तान संसद के निचले सदन में अपना बहुमत खो दिया है। अब उच्च सदन में उनकी अग्नि परीक्षा होनी है

पड़ोसी देश पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से सियासी तापमान चरम पर है। दरअसल इमरान की नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के मुख्य गठबंधन सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम) ने विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ हाथ मिला लिया है। इसके साथ ही इमरान सरकार ने पाकिस्तान संसद के निचले सदन में अपना बहुमत खो दिया है। अब उच्च सदन में उनकी अग्नि परीक्षा होनी है। साल 2018 में पाकिस्तानी सेना की मदद से सत्ता में आने वाले इमरान खान के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर 3 अप्रैल को वोटिंग होनी है। अगर विपक्ष सफल रहता है तो यह किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को लोकतांत्रिक तरीके से पद से हटाने का अपने आप में दुर्लभ मामला हो सकता है।

गौरतलब है कि इमरान खान के करीब साढ़े तीन साल के कार्यकाल में देश रिकॉर्ड मंहगाई की चपेट में आ गया। हालत यह हो गए हैं कि तेल से लेकर आटे तक के दाम में भारी बढ़ोतरी हो गई। ऐसी स्थिति में कहा जा रहा है कि इमरान सरकार का जाना लगभग तय हो गया है। अब विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के बाद अपनी कुर्सी बचाने के लिए नए-नए पैंतरे आजमा रहे प्रधानमंत्री इमरान की सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई चीफ ने बोलती बंद कर दी है। दरअसल, इमरान अपने ही राजदूत का एक चेतावनी पत्र सार्वजनिक करके यह दिखाना चाहते थे कि उनकी सरकार को गिराने के लिए अंतरराष्ट्रीय साजिश रची जा रही है। जनरल बाजवा को जब यह पता चला तो वह तुरंत इमरान खान के घर पहुंचे और उन्हें आगाह किया कि पाकिस्तानी पीएम ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट में फंस जाएंगे और उन्हें जेल हो सकती है। इसके बाद इमरान ने देश को संबोधित करने का फैसला अचानक से रद कर दिया।

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक जनरल बाजवा ने इमरान खान को बताया कि इस कथित पत्र को सार्वजनिक करने से उस देश से संबंध और ज्यादा खराब हो सकते हैं। ऐसे में पाकिस्तानी पीएम इसे सार्वजनिक करने से परहेज करें। यही नहीं जनरल बाजवा ने इमरान खान को यह भी चेताया कि वह अब कोई बड़ा कार्यकारी आदेश तब तक न जारी करें जब तक कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला नहीं हो जाता है। बाजवा ने इमरान से कहा कि वह बेवजह के आरोप लगाना बंद करें क्योंकि खुद उनके सहयोगी उन्हें छोड़कर जा रहे हैं और इसकी वजह से उनकी सरकार पर संकट आया है। 30 मार्च को पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा की इमरान खान से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अब सेना ने भी इमरान की कुर्सी बचाने में मदद करने से इनकार कर दिया है।

‘नया पाकिस्तान’ में बढ़ी महंगाई, कर्ज लेने का बना रिकॉर्ड
इमरान खान ने ‘नया पाकिस्तान’ बनाने का वादा करके सत्ता हासिल की थी लेकिन देश की कम विकास दर और कोरोना ने देश की कमर तोड़कर रख दी। साल 2019 में आईएमएफ से 6 अरब डॉलर का कर्ज मांगा। वहीं राजनीतिक अस्थिरता की वजह से पाकिस्तानी रुपया भी रसातल में चला गया है। मार्च में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 14.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इमरान ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि वह विदेशों से कर्ज नहीं लेंगे लेकिन उनका यह वादा खोखला साबित हुआ और देश आईएमएफ के अलावा चीन, रूस और सऊदी अरब से कर्ज के लिए हाथ फैलाते रहे है।

जनरल बाजवा से पंगा लेना पड़ा भारी
इमरान खान के शुरुआती कार्यकाल में सेना के साथ उनके संबंध बेहद मजबूत थे। सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा इमरान खान के साथ पूरी तरह से खड़े थे। इमरान ने इसका फायदा उठाते हुए विपक्ष को राजनीतिक रूप से खत्म करने का प्रयास किया। इसके बाद इमरान खान ने सोचा कि वह लंबे समय तक राज करें और उन्होंने जनरल बाजवा के खिलाफ ही विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। जनरल बाजवा ने बेहद शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई के नए प्रमुख के नाम का एलान किया जिसे इमरान खान ने टाल दिया। इमरान चाहते थे कि उस समय के आईएसआई चीफ जनरल फैज हामिद ही बने रहें लेकिन सेना को यह मंजूर नहीं था। दरअसल, इमरान चाहते थे कि उनको सत्ता दिलाने वाले जनरल फैज को ही बाजवा की जगह पर नया सेना प्रमुख बनाया जाए ताकि साल 2023 में होने वाले चुनाव में इसका लाभ उठाया जाए। इसी वजह से वह जनरल फैज को रोके रखना चाहते थे लेकिन अंततः जनरल बाजवा के आगे उन्हें झुकना पड़ा।

अपनी ही पार्टी में बड़ा विद्रोह
साल 2018 में हुए चुनाव में इमरान खान की पार्टी पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सहयोगियों की मदद से सदन में 172 के जादुई आंकड़े को पार किया था। इस दौरान आईएसआई ने उन्हें बहुमत जुटाने में बहुत मदद की थी। इस बीच सेना के न्यूट्रल हो जाने के बाद अब इमरान खान के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक विपक्षी दलों के सांसदों की संख्या अब करीब 200 तक पहुंच गई है। इसमें करीब 25 इमरान खान की पार्टी के बागी सांसद भी हैं। इमरान खान ने सत्ता को बचाने के लिए अपने करीबी परवेज इलाही को पंजाब के सीएम पद से हटा दिया लेकिन उनका यह दांव भी काम आता नहीं दिख रहा है।

इमरान की मुश्किलें बढ़ने के मुख्य कारण
नए पाकिस्तान का वादा कर हुकूमत में आए थे।
देश के बाकी नेताओं को भ्रष्टाचारी बताकर संगीन आरोप लगाना।
हुकूमत में आने के बाद महंगाई का बेतहाशा बढ़ना।
पीटीआई के 13 सांसदों की घोषित तौर पर बगावत करना।
पार्टी के 20 से 30 सांसदों का पार्टी की नीतियों से नाराज होना।

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