पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के मसले पर लगातार हार का सामना कर रहा है। भारत ने अनुच्छेद 370 पर जो फैसला लिया उससे पाकिस्तान को दिक्कत है, इसी मसले को लेकर पाक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) पहुंचा लेकिन भारत ने अपने तर्कों से उसकी हर मांग को बेदम कर दिया।
पाकिस्तान दुनिया के हर मंच पर जाकर कश्मीर राग अलाप रहा है और भारत के खिलाफ कुप्रचार करने में लगा है। हालांकि अब पाकिस्तान की हालत ऐसी हो गई है कि उसके द्वारा गैरकानूनी तरीके से कब्जाए गए हिस्से के निवासी प्रताड़ना के खिलाफ न सिर्फ आवाज बुलंद कर रहे हैं, बल्कि विश्व समुदाय की आंखें खोलने का भी काम कर रहे हैं।
यह सबकुछ देखने को मिला जिनेवा में चल रहे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 42वें सत्र में। इस सत्र में लगातार दूसरे दिन आज बुधवार 11 सितंबर को भी कश्मीर का मुद्दा छाया रहा। इस बार गिलगित-बाल्टिस्तान के ऐक्टिविस्ट सेंगे एच सेरिंग ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने सत्र में अपने भाषण में साफ कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को यह समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान पिछले 70 सालों से बड़ा अवरोधक बना हुआ है।
वहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान से ताल्लुक रखने वाले कर्नल वजाहत हसन (सेवानिवृत्त) ने सत्र में कहा, ‘पाकिस्तान कहता है कि पूरा जम्मू-कश्मीर विवादित क्षेत्र है और वहां लोगों को खुद फैसला लेने की आजादी होनी चाहिए। मैं यह जरूर कहूंगा कि पाकिस्तान यह दावा कैसे कर सकता है कि यह विवादित क्षेत्र है?’
हसन ने कहा कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को लंबे समय से कश्मीर के अखाड़े के अंदर रखा हुआ है, जिस वजह से लोग गिलगित-बाल्टिस्तान के महत्व को नहीं जानते हैं और न ही जम्मू-कश्मीर राज्य के साथ इसके लिंक को।
उधर, ऐक्टिविस्ट सेंगे सेरिंग ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर में कुछ लोगों के लिए एक हथियार बना हुआ था, जिसने उन्हें दूसरी जाति और धर्म पर वीटो का अधिकार दे रखा था। जो लोग इससे लाभान्वित हो रहे थे, वे पाकिस्तान की मिलिटरी के समर्थक बन गए थे और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के रणनीतिक हित का प्रचार कर रहे थे।’
उल्लेखनीय है कि कश्मीर का मुद्दा यूएनएचआरसी के सत्र की शुरुआत से ही छाया हुआ है। 10 सितंबर को पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाए जाने के मुद्दे को उठाते हुए भारत पर मानवाधिकार हनन के आरोप लगाए, वहीं भारतीय प्रतिनिधियों ने पाक को जमकर लताड़ लगाई और यूएनएचआरसी को बताया कि यह भारत का आंतरिक मामला है। भारतीय राजनयिकों ने यह भी बताया कि किस तरह पाकिस्तान, भारत में आतंक फैला रहा है और वहां के मंत्री तक युवाओं को जिहाद के लिए उकसा रहे हैं।
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के लाख गिड़गिड़ाने के बाद भी संयुक्त राष्ट्र ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और इसका हल बातचीत से होना चाहिए। ऐसे में अगर संयुक्त राष्ट्र आमसभा में 27 सितंबर को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान फिर कश्मीर राग अलापते हैं तो इसका कोई फायदा नहीं होगा।