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भारत में कोरोना वायरस  की  दूसरी लहर भयानक होती जा रही है देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में  हालात  बद से बदतर होते जा रहे हैं दिल्ली के हॉस्पिटल में बेड ही खाली नहीं है जिसमें कोविड के मरीजों को भर्ती किया जा सके | हॉस्पिटल के बाहर मरीजों  की लाइन लगी हुई है लोग अपने परिजन को लेकर हॉस्पिटल के चक्कर काट रहे हैं मरीजों को ऑक्सीजन ही नहीं मिल रही है यहाँ तक की लोग ऑक्सीजन को लेकर लूटमारी पर उत्तर आये हैं| कई राजनीतिक दल ऑक्सीजन को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं| देश की सर्वोच्च न्यायालय  सुप्रीम कोर्ट  ने भी ऑक्सीजन को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई हैं | आइये जानते हैं भारत में ऑक्सीजन की क्या स्थिति हैं |

ऑक्सीजन के कितने प्लांट है भारत में

भारत में सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियां ऑक्सीजन प्लांट लगा सकती हैं। भारत में लगभग 500 कंपनियां हैं जो ऑक्सीजन बनाती हैं जिनमें लगभग 7000 मेट्रिक टन से अधिक मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करने की क्षमता है  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 12 अप्रैल तक भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की खपत  3842 मेट्रिक टन हैं | यह मेडिकल ऑक्सीजन दैनिक उत्पादन क्षमता का 54 फीसदी हैं   भारत में महाराष्ट्र ऑक्सीजन का  सबसे बड़ा भंडार है सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में कुल 7 ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर प्लांट है जहां से लगभग 991 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन रोजाना होता है| इसके बाद गुजरात दूसरे नंबर पर है जहां से लगभग 488 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन रोजाना होता है|  तीसरे नंबर पर झारखंड है जहां से 434 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का  प्रोडक्शन रोजाना होता है देश की राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन का कोई प्लान नहीं है वह दूसरे राज्यों पर निर्भर है छत्तीसगढ़ में 85 मेट्रिक, टन हरियाणा में 40 मेट्रिक टन,हिमाचल प्रदेश में 120 मेट्रिक टन,केरला में 298 मेट्रिक टन, कर्नाटक में 275 मेट्रिक टन, उड़ीसा में 340 मेट्रिक टन, राजस्थान में 120 मेट्रिक टन ,तेलंगाना में 60 मेट्रिक टन, तमिलनाडु में 249 मेट्रिक टन, पांडुचेरी में 84 उत्तराखंड में 180 मेट्रिक टन,उत्तर प्रदेश में 184 मेट्रिक टन और वेस्ट बंगाल में 264 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन रोजाना होता है

कैसे बनती है ऑक्सीजन

मेडिकल ट्रीटमेंट में जिस तरह की ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है वह लिक्विड ऑक्सीजन होती है ऑक्सीजन गैस क्रायोजेनिक टीटू लेशन प्रोसेस के जरिए बनती है ऑक्सीजन गैस क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रॉसेस के जरिए बनती है। यानी हवा में मौजूद विभिन्न गैसों को अलग-अलग किया जाता है, जिनमें से एक ऑक्सीजन भी है। क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रॉसेस में हवा को फिल्टर किया जाता है, ताकि धूल-मिट्टी को हटाया जा सके। उसके बाद कई चरणों में हवा को कंप्रेस  किया जाता है। उसके बाद कंप्रेस हो चुकी हवा को मॉलीक्यूलर छलनी एडजॉर्बर से ट्रीट किया जाता है, ताकि हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन को अलग किया जा सके। इस  पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद कंप्रेस हो चुकी हवा डिस्टिलेशन कॉलम में जाती है, जहां पहले इसे ठंडा किया जाता है। यह प्रक्रिया एक plate fin heat exchanger & expansion turbine के जरिए होती है और उसके बाद 185 डिग्री सेंटीग्रेट  पर उसे गर्म किया जाता है, जिससे उसे डिस्टिल्ड किया जाता है।  डिस्टिल्ड की प्रक्रिया में पानी को उबाला जाता है और उसकी भाप को कंडेंस कर के जमा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को अलग-अलग स्टेज में कई बार किया जाता है, जिससे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अर्गन जैसी गैसें अलग-अलग हो जाती हैं। इसी प्रक्रिया के बाद लिक्विड ऑक्सीजन और गैस ऑक्सीजन मिलती है। इस तरह प्लांट्स में पूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस गैस को  लिक्विड ऑक्सीजन को तय तापमान पर बड़े-बड़े क्रायोजेनिक टैंकरों में भरकर डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए हॉस्पिटल्स में सप्लाई किया जाता है।

ऑक्सीजन की कमी को लेकर राजीनीतिक दलों  में घमासान 

हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी को  लेकर तरह-तरह की बयानबाजी भी हो रही हैं ऑक्सीजन की सप्लाई का पूर्ण जिम्मा केंद्र सरकार के पास हैं लेकिन जिन राज्यों मैं ऑक्सीजन  बन रही हैं वहाँ पर कमी के चलते मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा हैं  जिसको लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गयी हैं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने ऑक्सीजन की किल्लत पर  हरियाणा और उत्तर प्रदेश प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया हैं| उन्होंने  कहा कि केंद्र द्वारा कोटा बढ़ाने के बावजूद कई राज्यों द्वारा ऑक्सीजन पर कंट्रोल करने की कोशिश हो रही है। जब केंद्र ने राज्यों का कोटा तय किया है तो  हरियाणा और यूपी क्यों ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधक बन रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया की मंगलवार को यूपी के प्रशासनिक अधिकारी मोदीनगर से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने दे रहे थे और बुधवार को जब वहां से आपूर्ति सामान्य हुई तो हरियाणा ने आपूर्ति रोक ली। सिसोदिया ने आरोप लगाया हरियाणा और यूपी के प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की दादागिरी की वजह से बुधवार को 378 टन की जगह सिर्फ 177  टन ही उठ पाया। आज भी हरियाणा और यूपी में ऑक्सीजन को लेकर जंगलराज मचा रखा है और वहां के ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन नहीं उठने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरी केंद्रीय सरकार से गुजारिश है कि जितना हमारा कोटा है उसकी आपूर्ति करने में मदद करें।दूसरी तरफ राजस्थान में ऑक्सीजन को लेकर केन्द्र और राजस्थान के बीच भी  घमासान मचा हुआ है. राजस्थान सरकार का आरोप है कि केन्द्र उसे समुचित मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करवा रहा है. उसने प्रदेश के ऑक्सीजन प्लांट्स को अपने अधीन ले लिया है. इसके कारण राज्य में उत्पादित ऑक्सीजन राजस्थान को कम मिल रही है और दूसरे राज्यों को ज्यादा भेजी जा रही है. ऑक्सीजन की कमी का अब यह मामला हाईकोर्ट  पहुंच गया है. एक अधिवक्ता की ओर से मुख्य न्यायाधीश को इस संबंध में लिखे गए पत्र  को याचिका के रूप में स्वीकार किया गया है. इस पर शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.|

दिल्ली हाईकोर्ट बढ़ते संक्रमण पर नजर रखे हुए हैं  ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार को फटकार भी लगा रहा हैं| अब  दवाओं और ऑक्सीजन की कमी के मामले पर देश की शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कोरोना से निपटने के लिए आपके पास क्या व्यवस्था है। जिस पर शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करेगी।

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