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बंगाल में सातों खाने चित हुए ओवैसी

बंगाल में असली ‘खेला’ तो असदुद्दीन ओवैसी के साथ हो गया। बिहार की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम चेहरा बनने चले थे। लेकिन बंगाल में उनकी एक नहीं चली। जिस तरह उन्होंने बिहार में पहली बार चुनाव लड़ कर पांच सीटें जीती थी , उसी तरह पश्चिम बंगाल में भी ओवेसी ने मुस्लिम बाहुल्य  सात सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन ओवेसी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि उनका एक भी कैंडिडेट चुनाव नहीं जीता। बल्कि सभी सातों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यह ओवेसी के लिए बडा झटका बताया जा रहा है। जिसमें वह सफल नहीं हो सके और चित हो गए।

गौरतलब है कि ओवैसी को चुनाव से पहले फुरफुरा शरीफ ने झटका दे दिया । रही सही कसर चुनाव के बाद मतदाताओं ने उन्हें ‘सातों’ खाने चित कर निकाल दी। सातों खाने चित इसलिए क्योंकि उनकी पार्टी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर उनकी पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।

पश्चिम बंगाल की सभी सातों सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईए के उम्मीदवारो को करारी हार का सामना करना पड़ा है। ओवैसी ने इतहार सीट पर मोफाककर इस्लाम, जलंगी सीट पर अलसोकत जामन, सागरदिघी सीट पर नूरे महबूब आलम, भरतपुर सीट पर सज्जाद हुसैन, मालतीपुर सीट पर मौलाना मोतिउर रहमान, रतुआ सीट पर सईदुर रहमान और आसनसोल उत्तर सीट से दानिश अजीज को मैदान में उतारा था। लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई।

बंगाल की इतहार विधानसभा में 52 फीसदी के करीब मुस्लिम वोटर हैं। लेकिन
एआईएमआईए के उम्मीदवार  मोफाककर इस्लाम को 1000 से भी कम वोट मिले। सागरदिघी सीट पर 65 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन एआईएमआईए के नूरे महबूब आलम को पांच सौ वोट भी नहीं मिले ।

जबकि मालतीपुर सीट पर 37 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन पार्टी प्रत्याशी मौलाना मोतिउर रहमान भी हजार का आंकड़ा नहीं पार कर सके। रतुआ विधानसभा इलाके में 41 फीसदी, आसनसोल उत्तर में 20 फीसदी तो जांगली विधानसभा इलाके में 73 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इसी के साथ भरतपुर में 58 फीसदी मुस्लिम थे। लेकिन वहा भी सफलता नहीं मिली। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईए के बेनर तले
इस चुनाव में लडे किसी भी सीट पर प्रत्याशी 1000 का आंकड़ा पार नहीं कर सके।

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