महाराष्ट्र में खसरे के मामले बढ़ते जा रहे हैं। खसरे के प्रकोप चलते मुंबई में लगातार कई बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। अस्पतालों में अभी भी कई बच्चे भर्ती हैं। जिनका इलाज चल रहा है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी ) के मुताबिक शहर में अब तक कुल 3 हजार 208 लक्षण के मरीज सामने आए हैं। इसमें से कुल 220 मरीजों का इलाज अभी चल रहा है। गौरतलब है कि बीते दिन 23 नवंबर को मुंबई में इस बीमारी की वजह से 8 महीने के एक बच्चे की मौत हो जाने से डर का माहौल बना हुआ है। शहर में इस बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या अबतक 13 तक पहुंच गई है। मुंबई में खसरे के सबसे ज्यादा 24 मरीज सोमवार को मिले है। इसके अलावा ज्यादातर मरीज गोवंडी और कुर्ला से सामने आ रहे हैं। खसरे का शिकार होने वाले ज्यादातर बीमार बच्चों की उम्र पांच साल से भी कम है।
महाराष्ट्र में खसरे के बढ़ रहे मामले के संदर्भ में अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ मुंबई ही नहीं बल्कि बाहर भी खसरे का प्रकोप बढ़ रहा है। 17 नवंबर तक पूरे राज्य में इस बीमारी के पांच सौ से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। ठाणे जिले के भिवंडी से जहां सात तो वहीं नासिक के मालेगांव से पांच मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में पूरे राज्य में 153, वहीं साल 2020 में 193 और 2021 में 92 मामले सामने आए थे। मौजूदा समय में पनवेल में 3 मरीज और 15 मरीजों में खसरे के लक्षण पाए गए हैं। इसके बाद ही पनवेल में खसरे का 300 जगह वैक्सीनेशन किया गया है।
खसरे के बढ़ते प्रकोप का कारण बताते हुए अधिकारियों ने कहा जीवन स्तर की दयनीय स्थिति, बड़ा परिवार, उचित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, स्वच्छता सुविधाओं और खराब प्रतिरक्षा, पोषण की कमी, टीके की खुराक न देना और टीकाकरण के प्रति इच्छा न रखना शहर में इस बीमारी के पांव पसारने के प्रमुख कारण हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य निगरानी अधिकारी प्रदीप आवटे के मुताबिक भी अगर सप्ताह में संक्रमण के पांच संदिग्ध मामले सामने आते हैं। जिनमें से दो से अधिक की प्रयोगशाला परीक्षण में पुष्टि हुई हो, तो इसे खसरे का प्रकोप कहा जाता है। ये बीमारी अपना प्रभाव ज्यादा समय तक न बना पाए इसलिए स्वास्थ्य विभाग खसरा के लिए घर-घर निगरानी कर रहा है और अभियान के रूप में विशेष टीकाकरण सत्रों की व्यवस्था कर रहा है।
विश्वभर के लिए चिंता का विषय खसरा
महाराष्ट्र के अतिरिक्त बिहार, हरियाणा, गुजरात, झारखंड और केरल में भी मामलों की संख्या के बढ़ने की खबरें आई हैं। इस समाधान हेतु राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा रोकथाम के कदम तुरंत शुरू करने की तैयारी की जा रही है। खसरे का प्रकोप न सिर्फ भारत में है बल्कि इसके मामले पूरी दुनिया में बढ़ रहे हैं। इसलिए खसरे की यह स्थिति भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लिए चिंता जा विषय बन सकती है। दुनिया का कोई भी इलाका कभी भी खसरे को पूरी तरह से मिटाने और मिटाए रखने में सफल नहीं हुआ है। इसका वायरस काफी जल्दी सीमाओं के पार फैल सकता है। विश्वभर में खसरे की स्थिति को बताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने संयुक्त रूप से एक रिपोर्ट जरी की है। जिसमे कहा गया है कि करीब 2.5 करोड़ बच्चों को खसरे की पहली खुराक नहीं मिली और करीब 1.47 करोड़ बच्चों को दूसरी खुराक नहीं मिली है। गौरतलब है कि भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत खसरे का टीका हर बच्चे को दो खुराकों में देना होता है। नौ महीने की उम्र में पहली खुराक और दूसरी 15 महीनों की उम्र में दी जानी चाहिए। अधिकारियों ने माना है कि कोविड की वजह से टीकाकरण पर असर पड़ा है। मुंबई में करीब 20,000 बच्चों को खसरे का टीका नहीं दिया जा सका।
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कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य व्यवस्था को उथल पुथल कर दिया है। संयुक्त रूप से जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रभावपूर्ण ढंग से कोविड-19 महामारी की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था में जो उथल पुथल हुई है, उसके प्रभाव के चलते टीकाकरण का स्तर अभी भी पहले जैसे नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य सुविधाओं में यह गिरावट खसरे को विश्व से मिटाने के प्रयासों के लिए एक बड़ा धक्का है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख तेद्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस के कहने अनुसार यह विडंबना है कि जहां कोविड के खिलाफ तो टीके समय पर बना लिए गए और दे भी दिए गए, वहीं आम टीकाकरण कार्यक्रमों पर बुरा असर पड़ा और करोड़ों लोगों के लिए जोखिम खड़ा हो गया है। बीते साल 2021 में दुनिया भर में सिर्फ 81 प्रतिशत बच्चों को पहली खुराक और 71 प्रतिशत बच्चों को दूसरी खुराक मिल पाई थी। यह साल 2008 के बाद पहली खुराक का सबसे कम वैश्विक औसत था। उन पांच देशों में भारत भी शामिल था जहां सबसे ज्यादा बच्चों को पहली खुराक नहीं मिली। इसी सूची में नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया और इंडोनेशिया शामिल हैं।
क्या है खसरे के लक्षण
संक्रामक वायरस की वजह से होने वाला खसरा एक संक्रमण रोग है। ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है। खसरा होने पर पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। इसी के चलते लाल दाने शुरुआत में सिर पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाते हैं। खसरा रोग को रूबेला भी कहा जाता है। वायरस के संपर्क में आने के लगभग 10 से 14 दिनों के बाद ही इस रोग के संकेत और लक्षण दिखने लगते है। इस रोग में रोगी को सामान्य से तेज बुखार आना , सूखी खांसी होना ,लगातार नाक बहना ,गले में खराश बने रहना ,आँखों में सूजन आने के साथ गाल की अंदरूनी परत पर मुंह के अंदर पाए जाने वाले लाल रंग की पृष्ठभूमि पर नीले-सफेद केंद्रों वाले छोटे सफेद धब्बे भी रोगी को हो जाते है।