कोरोना संकट से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से प्रभावित प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं पर चर्चा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज पर चर्चा हो सकती है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और सांसद संजय राउत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में विपक्ष की बैठक में शामिल होंगे। ठाकरे पहली बार सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बैठक में भाग लेंगे।
कोरोना संकट के दौरान विपक्ष की यह पहली बैठक है। बैठक में कोरोना की स्थिति पर विस्तार से चर्चा होगी। चर्चा आज दोपहर 3 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी। कांग्रेस के नेताओं के अनुसार, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके सहित देश भर के 22 दल बैठक में भाग ले रहे हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, द्रमुक नेता स्टालिन, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, राजद नेता तेजस्वी यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मौजूद रहेंगे। हालांकि, मायावी ने इससे दूरे बनाने का फैसला किया है।
इससे पता चलता है कि शिवसेना जो कभी एनडीए का एक प्रमुख घटक थी, अब यूपीए के करीब जा रही है। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा रहा है। शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता विधेयक के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन कांग्रेस द्वारा नाराजगी व्यक्त करने के बाद राज्यसभा में मतदान का बहिष्कार किया।
महाराष्ट्र में सरकार में शामिल होने से पहले शिवसेना ने केंद्र में अपना एकमात्र मंत्री पद छोड़ दिया था। केंद्रीय मंत्री के रूप में अरविंद सावंत के इस्तीफा देने के बाद ही कांग्रेस-एनसीपी ने शिवसेना की बढ़त हासिल की। इसलिए, सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कल की बैठक में शिवसेना की भागीदारी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगी। इस बैठक के बाद सभी की निगाहें विपक्ष की अगली रणनीति पर होंगी।
आपको बता दें कि कल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ एक एफआईआर कर्नाटक में दर्ज कराने की बात सामने आई थी। एक वकील ने कथित तौर पर पीएम केयर फंड के खिलाफ भ्रम फैलाने को लेकर ये मामला दर्ज कराया है। इससे पहले कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठकें सोनिया गाँधी के साथ हुई हैं।
अभी कोरोना वायरस महासंकट के बीच कांग्रेस की ओर से लगातार मोदी सरकार पर आरोपों की बौछार की जा रही है। कांग्रेस प्रदेश शासित सरकरों की ओर से लगातार केंद्र सरकार पर राज्यों के साथ सौतेला बर्ताव करने का आरोप भी लगाया जा रहा है। इसके अलावा कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री केयर्स फंड की जानकारी सार्वजनिक करने की अपील की जा रही है।