पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिए चुनाव प्रचार तेज हो रहा है, लेकिन सबकी निगाहें पश्चिम बंगाल पर टिकी हुई हैं। खासकर इस बात को लेकर कि चुनाव प्रचार के दौरान घायल हुई मुख़्यमंत्री ममता बनर्जी की अगली रणनीति क्या होगी और राज्य की जनता दीदी पर भरोसा बनाए रखेगी या फिर भाजपा भगवा लहराने में कामयाब हो पाएगी।
भाजपा पिछले एक साल से तृणमूल कांग्रेस के गढ़ को घेरने की रणनीति में है। इस रणनीति के तहत वह तृणमूल कांग्रेस के सांसद, विधायक व मंत्रियों समेत कई नेताओं को अपने पाले में ले आई है। भाजपा राज्य में बदलाव का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस भी अपनी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जमीनी जुड़ाव और जुझारूपन को लेकर आश्वस्त दिख रही है। पार्टी कार्यकर्ता बराबर यह संदेश दे रहे हैं कि दीदी की लोकप्रियता के आगे भाजपा के नेता बौने पड़ गये तो अब उन पर घातक हमला कर दिया गया।
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान घायल हुई मुख़्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव को लेकर अब और उग्र नजर आ रही हैं। दरअसल तृणमाल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी बीते दिनों नंदीग्राम में चोट लगने की वजह से घायल हो गई थीं। लेकिन चुनाव सिर पर हो और एक सत्तारूढ़ पार्टी की मुखिया ममता भला आराम कैसे कर सकती हैं। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी आज 14 मार्च की शाम गांधी मूर्ति से हजरा तक व्हीलचेयर पर एक रोड शो करेंगी। वहीं दिन में हाजरा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अस्पताल से अपने समर्थकों के लिए जो वीडियो जारी किया था, उसमें उन्होंने कहा था, ”मुझे अपने अगले दो से तीन दिनों में जमीन पर वापस लौटने की उम्मीद है। चोट फिर भी बरकरार रह सकती है, लेकिन मैं मैनेज कर लूंगी। मैं एक भी मीटिंग ड्रॉप नहीं करूंगी। हो सकता है कि कुछ दिनों के लिए मुझे व्हीलचेयर की मदद लेनी पड़े। मैं आपका सपोर्ट चाहती हूं।”
दूसरी ओर ममता बनर्जी के घायल होने के बाद पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। यह सतर्कता सहानुभूति वोट को लेकर बरती जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में अपने प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के उस बयान से असहमति जता दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि ममता नंदीग्राम सीट हार रही हैं, इसलिए वह नौटंकी कर रही हैं। कांग्रेस पार्टी को अधीर रंजन के नौटंकी शब्द से आपत्ति थी। इतना ही नहीं, भाजपा और वामदलों ने भी अपनी रणनीति बदल ली है। अब देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी जब घायल होने के बाद पहली बार चुनाव मंच पर जनता के सामने होंगी तो वह किस तरह विपक्ष पर हमला करती हैं।
इधर, टीएमसी ने पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 के लिए अपने चुनाव घोषणापत्र को जारी करने का कार्यक्रम रद्द कर दिया है। पहले ये ममता के घायल होने पर रद्द किया गया था। इसे कब घोषित किया जाएगा इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगी चोट और किसान नेताओं के राज्य में भाजपा के खिलाफ रैलियां करने का असर पड़ सकता है। इससे निपटने के लिए भाजपा का संगठन ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा सक्रिय हो गया है। परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी उसकी मदद कर रहा है। इन दोनों मुद्दों का असर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हो सकता है, इसलिए भाजपा वहां पर जमीनी संवाद और संपर्क बढ़ा रही है।
तृणमल कांग्रेस को देश के विभिन्न राजनीतिक दलों समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन भी मिल रहा है। इनसे इतर हाल की दो घटनाओं घटनाएं भी महत्वपूर्ण हैं, जिनमें एक एक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम में प्रचार के दौरान लगी चोट और दूसरी दिल्ली में कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान संगठनों का राज्य में भाजपा के खिलाफ जाकर चुनाव प्रचार अभियान शुरू करना शामिल है। यह दोनों मुद्दे इस तरह के हैं जो पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकते हैं और भाजपा को नुकसान।
सूत्रों के अनुसार, इससे निपटने के लिए भाजपा नेतृत्व ने अपने संगठन को ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय किया है। जहां वे ममता बनर्जी के साथ हुई दुर्घटना को महज एक हादसा और राजनीतिक स्टंट बताने की कोशिश करेंगे वहीं किसान आंदोलन को लेकर भी तथ्य रखेंगे जिससे कि भाजपा को कोई नुकसान न हो। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के तूफानी दौरे तो जारी रहेंगे ही।