जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को सोमवार को राज्यसभा से पास कर दिया गया। बिल को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े। तो वही विपक्ष के 61 सदस्यों ने वोट किया। कई पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया हालाँकि कई पार्टिया बिल के समर्थन में भी खड़ी नज़र आयी। सदन के बाहर पीडीपी नेताओं द्वारा तो कुर्ता फाड़कर और काली पट्टी बांधकर विरोध तक किया गया। कुछ ऐसी पार्टियों ने सरकार का समर्थन कर चौंकाया जो कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ खड़ी रहीं। आज पुनर्गठन बिल पर लोकसभा में चर्चा होगी।
बीजू दल पार्टी द्वारा बिल का समर्थन किया गया। बीजू दल पार्टी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि इस फैसले से भारत माता की ताकत बढ़ी है। उन्होंने कहा, हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब पाकिस्तान के कब्जा वाले कश्मीर के हिस्से को भी भारत में मिलाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम भले ही क्षेत्रीय दल हैं और क्षेत्रीय आकांक्षाएं रखते हैं किंतु जब देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की बात हो तो हम पूरे देश के साथ खड़े हैं। बीजू जनता दल ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाने का संकल्प का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा की “जम्मू कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है।”
शिवसेना द्वारा सरकार के इस निर्णय का खुलकर समर्थन किया गया। उन्होंने पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की धमकियों का भी जिक्र किया और उन्हें चुनौती दी कि जो करना है, करके दिखाएं। उनके द्वारा ,कहा गया अुच्छेद 370 को छूने वाले हाथ जल जाएंगे, जलाइए। आज से धमकी की भाषा खत्म होनी चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी यहां क्यों बैठे हैं।’ राज्यसभा में शिवसेना सांसद संजय राउत द्वारा यह भी कहा गया ,”आज जम्मू-कश्मीर लिया है। कल बलूचिस्तान, पीओके लेंगे। मुझे विश्वास है देश के प्रधानमंत्री हिंदुस्तान का सपना पूरा करेंगे।”
भाजपा की धुर विरोधी होकर भी बसपा भी निर्णय के पक्ष में दिखी।वहीं, बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा कहा गया कि चूंकि अुच्छेद 370 खत्म होने से पूरे देश के मुस्लिमों को जम्मू-कश्मीर में बसने और वहां प्रॉपर्टी बनाने का अधिकार होगा, इसलिए पार्टी प्रमुख मायावती ने इसका समर्थन करने का फैसला किया। मिश्रा ने कहा, ‘हमने पहले भी कहा था कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं। इसका कुछ कारण बताना चाहते हैं। सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही माइनॉरिटी कम्यूनिटी के लोग नहीं रहते हैं। मुस्लिम कम्यूनिटी जितनी जम्मू-कश्मीर में रहती है, उससे कहीं ज्यादा तादाद में पूरे देश में रहती है। लेकिन, जम्मू-कश्मीर में अपनी प्रॉपर्टी बनाएं, वहां के वाशिंदे बनें, उनका यह हक अभी तक छिना हुआ था। लेकिन, अब देशभर के मुस्लिमों, दलितों, पिछड़ों को यह हक मिल गया कि वे जम्मू-कश्मीर में बस पाएंगे और वहां अपनी प्रॉपर्टी बना पाएंगे।’
वही एआईएडीएमके सांसद ए नवनीतकृष्णन ने पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार द्वारा सदन में पेश किए गए सारे विधेयकों का समर्थन कर रही है। उन्होंने संविधान की अुच्छेद 370 के खंड 2 और खंड 3 का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार का फैसला पूर्णतः संवैधानिक है।
विरोधी पार्टी रही कांग्रेस के सीनियर नेता जनार्दन द्विवेदी द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांटने के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन किया गया और अपनी पार्टी के रुख के विपरीत राय रखते हुए कहा कि सरकार ने एक ‘ऐतिहासिक गलती’ सुधारी है। द्विवेदी ने कहा कि यह राष्ट्रीय संतोष की बात है कि स्वतंत्रता के समय की गई गलती को सुधारा गया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मुद्दा है। स्वतंत्रता के बाद कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे। मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे। मेरे व्यक्तिगत विचार से तो यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है।
और तो और वहीं, हर कदम पर विरोध करने वाली आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भी अुच्छेद 370 हटाने के फैसले का स्वागत किया गया । उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘हम जेऐंडके पर सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं। उम्मीद है कि इससे राज्य में शांति और खुशहाली आएगी।’ वहीं, राज्यसभा में पार्टी के सांसद सुशील कुमार गुप्ता ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाना देश हित में है। आम आदमी पार्टी देश में अलगाववाद का विरोध करती है, इसलिए हम सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं। उन्होंने राज्यसभा में पीडीपी सांसद द्वारा संविधान की प्रति फाड़ने की कोशिश की भी निंदा की।
साथ ही वाईएसआरसीपी भी समर्थन में खड़ी नज़र आयी। वाईएसआरसीपी के सांसद वी. विजयसाई रेड्डी द्वारा सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि अुच्छेद 370 वर्षों से देश को चुभ रही थी। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब जम्मू-कश्मीर की समस्या का पूर्ण समाधान हो जाएगा।
बीपीएफ द्वारा भी बिल का समर्थन किया गया। असम के राजनीतिक दल बीपीएफ के राज्यसभा सांसद विश्वजीत दैमारी ने आर्टिकल 370 हटाने को जम्मू-कश्मीर और देश की सुरक्षा से जोड़ा और कहा कि यह उस राज्य के साथ-साथ देश के लिए भी जरूरी था।
370 और 35 ए पर सरकार के अचानक लिए गए इस निर्णय से हर कोई अचंभित है। कहीं खुशी मनाई जा रही है तो कहीं विरोध भी शुरू हो गया है। राज्यसभा में पास होने के बाद आज गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल को लोकसभा में चर्चा के लिए रख दिया गया है।