भारत में आए दिन किसी न किसी अपराध की घटनाएं सामने आती रहती हैं। भारतीय कानून के हिसाब से हर अपराध की सजा भी तय की गई है। लेकिन कई ऐसे अपराधी भी हैं जो किसी बड़ी घटना को अंजाम दे कर देश से भाग कर विदेशों में बस गए हैं। ऐसे अपराधियों के लिए सीबीआई द्वारा चलाया जा रहा ऑपरेशन त्रिशूल ‘ काल बन गया है।
पिछले साल 2022 में सीबीआई ने ऑपरेशन त्रिशूल के तहत अलग-अलग आपराधिक गतिविधियों में शामिल कुल 33 अपराधियों को दूसरे देशों से प्रत्यर्पित किया है, जो अपराध करने के बाद भागकर विदेशों में छिपे बैठे थे। अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) की बात करें तो उनके अनुसार भारतीय जांच एजेंसियां वैश्विक स्तर पर 276 भगोड़ों की तलाश कर रही हैं, जिनमें कुछ।
ऑपरेशन त्रिशूल कैसे है मददगार
यह ऑपरेशन एक के एक बाद भगोड़े अपराधियों को भारत वापस लाने में मदद कर रहा है। CBI भगोड़ों को पकड़ने के लिए ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ के तहत तीन रणनीतियों से काम लेती है।
पहली रणनीति के तहत जांच एजेंसी इंटरपोल की मदद से एक भगोड़े अपराधी का पता लगाती है। फिर वह अपराधी जिस देश में रह रहा होता है उस देश से निर्वासन या प्रत्यर्पण की मांग करती है।
दूसरी रणनीति के तहत जांच एजेंसी वित्तीय अपराधियों द्वारा अपराध की कमाई के फैलाव की पहचान करने के लिए इंटरपोल तंत्र – स्टार ग्लोबल फोकल प्वाइंट नेटवर्क, वित्तीय अपराध विश्लेषण फाइलें और अन्य चैनल भी जुटाती है, ताकि अपराध की ऐसी आय को वापस लेने का दावा कर सके।
तीसरी रणनीति के तहत शेल कंपनियों, धोखाधड़ी लेनदेन और विश्व स्तर आदि पर स्थित सह-अभियुक्तों पर आपराधिक खुफिया जानकारी जुटाना और उनका समर्थन कर रहे नेटवर्क को खत्म करना। इससे संबंधित देश की कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को इंटरपोल के माध्यम से उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए सूचित किया जा सके। हालही में इसी ऑपरेशन के माध्यम से मोहम्मद हनीफा मक्काटा को भारत लाया गया।
कौन हैं मोहम्मद हनीफा मक्काटा
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने हाल ही में केरल पुलिस की ओर से वांछित अपहरण और हत्या के आरोपी को सऊदी अरब से प्रत्यर्पित किया गया। यह अब तक ऑपरेशन त्रिशूल के तहत भारत लाया गया 33वा अपराधी है। मोहम्मद हनीफा मक्काटा 2006 में हुई करीम नामक व्यक्ति के अपहरण और हत्या के मामले में केरल पुलिस की ओर से वांछित था। अधिकारियों के अनुसार इस मामले की जांच कोझिकोड के कुन्नामंगलम पुलिस स्टेशन की ओर से की गई थी। भारत में इसका नाम रेड कॉर्नर लिस्ट में दर्ज था जिसके आधार पर सऊदी अरब की इंटरपोल इकाई ने सीबीआई को मक्काटा के ठिकाने के बारे में जानकारी दी थी और उसे भारत वापस ले जाने के लिए एक टीम भेजने की भी मांग की। इसके बाद सीबीआई ने इसके ठिकाने की जानकारी केरल पुलिस को दीऔर केरल पुलिस उसे सऊदी अरब से पकड़कर भारत ले आई वापस ले आई।