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गांव से शुरू हुई एक ऐसी पहल जिसे मंत्रालय को करना पड़ा लागू

5 मई का दिन महाराष्ट्र के इतिहास में याद किया जायेगा। इस दिन यहां के एक गांव में वर्षो से चली आ रही कुरीति विधवा प्रथा के खिलाफ सराहनीय पहल शुरू हुई है। इस दिन इस प्रथा के खिलाफ हेरवाड़ ग्राम पंचायत में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसमे विधवाओं के जीवन में सुधार आ रहा है। हेरवाड़ ग्राम पंचायत के इस निर्णय से प्रभावित होकर राज्य के ग्रामीण विकास मंत्रालय की और से हर गांव में इस पहल को अपनाने के आदेश दिए गए है।

यह आज की कड़वी हकीकत है कि देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में विधवाओं के साथ अपमानित व्यवहार किया जाता है। अफ्रीका के कई देशों में विधवाओं की शुद्धि के लिए एक अजीबो गरीब प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके तहत विधवाओं को अपने पति की लाश के पैर धोकर पानी पीना पड़ता है। यही नहीं बल्कि विधवाओं को अपने ससुराल में किसी संबंधी के साथ या किसी अजनबी के साथ संबंध बनाने को मजबूर किया जाता हैं। इसके बाद ही इन्हें शुद्ध मानने की परंपरा है। विधवा महिलाओं के अंदर से इनके पति की आत्मा को निकालने के लिए भी तंत्र.मंत्र और अमानवीय प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ता है।

भारत के साथ ही बांग्लादेश, बोत्सावाना, अंगोला, आईवरी कोस्ट, घाना, केन्या, नाइजीरियाए तंजानिया, जिम्बॉब्वे जैसे कई देशों में पति की मौत के बाद विधवाओं की संपत्ति को जब्त करने का भी रिवाज है। इस दौरान विधवाओं को घर से बाहर निकाल दिया जाता है। उनकी संपत्ति को उनके ससुराल पक्ष के लोग अपने अधिकार में कर लेते है। भारत में पति के मरने के बाद महिला का अघोषित सामाजिक बहिष्कार तक कर दिया जाता है। उनके किसी भी सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम में आने और जाने पर रोक लगा दी जाती है। उनके रहन.सहन और खान.पान पर भी कई प्रकार की पाबंदी लगा दी जाती है। ये प्रथाएं मानव अधिकार कानूनों का भी उल्लंघन करती हैं।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने इस मामले में सराहनीय पहल की है। जिसके तहत विधवा के मंगलसूत्रए पैर की अंगूठी बिछियाद्ध हटानेए सिंदूर को पोंछनेए चूड़ी तोड़ने जैसे रिवाजों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है। ये प्रस्ताव गांव की पंचायत में गत 5 मई को लाया गया था। हेरवाड़ ग्राम पंचायत के इस निर्णय को ग्राम विकास अधिकारी पल्लवी कोलेकर और सरपंच सुरगोंडा पाटिल की पहल पर ग्राम सभा ने प्रस्ताव बनाकर स्वीकार पेश किया। जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद राज्य के ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से सभी ग्रामसभाओं के लिए ऐसा ही आदेश निकाला गया है। इस आदेश के तहत विधवा होने पर महिलाओं के साथ निभाई जाने वाली अमानवीय रस्मों पर रोक लगाई जा रही है।

याद रहे कि लूम्बा फाउंडेशन की 2017 में इस मामले में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी। फाउंडेशन की श्वर्ल्ड विडोज रिपोर्टश् के अनुसार दुनिया भर में करीब 25 करोड़ विधवाएं हैं। इनमें से हर सातवीं विधवा काफी गरीबी की हालत में जीवन जी रही हैं। दुनिया की एक तिहाई विधवाओं की आबादी अकेले भारत और चीन में ही है। रिपोर्ट के अनुसार चीन और भारत दोनों में करीब साढ़े चार करोड़ विधवा महिलाएं हैं। वर्ष 2020 से 2015 के बीच पति की बीमारी या युद्ध की वजह से होने वाली मौत से विधवाओं की आबादी में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस दौरान चौकाने वाली रिपोर्ट यह आई है कि दुनिया में सबसे तेज 24 प्रतिशत की वृद्धि दर से मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका में विधवाओं की आबादी बढ़ी है।

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