देश में लबें समय से चली आ रही नीट के ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी आरक्षण के 27 फीसदी मांग पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुप्रीम फैसला सुनते हुए कहा है कि आरक्षण योगिता में बाधक नहीं है।
ओबीसी आरक्षण पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की विशेष पीठ ने कहा है कि पीजी और यूजी ऑल इंडिया कोटा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य होंगे। सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण जरूरी है। हालांकि न्यायालय ने ये आदेश पहले ही दिया था लेकिन आज न्यायालय ने उस पर अपना विस्तृत फैसला सुनाया है।
सर्वोच्च न्यायालय के 20 जनवरी के फैसले में सबसे अहम बात सामाजिक न्याय को लेकर कही गई है। आमतौर पर देश में स्पेशलाइज्ड कोर्स में आरक्षण का विरोध किया जाता है। कहा जाता है कि ऐसे कोर्स में आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण देने से मेरिट पर असर पड़ता है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस विचार पर अहम टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा है कि मेरिट और आरक्षण एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं। यह आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है। समाज में पिछड़ेपन को दूर करने में आरक्षण की भूमिका को नाकारा नहीं जा सकता है।
इसके साथ सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार को ओबीसी आरक्षण सबंधी फैसला लेने से पहले न्यायालय से अनुमति लेने की कोई आवयश्कता नहीं है।
इसके साथ यह भी साफ कर दिया है कि पहले के फैसलों ने यूजी और पीजी एडमिशन में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मार्च के तीसरे हफ्ते में सुनवाई होनी है। इस सुनवाई को लेकर कोर्ट ने कहा है कि ‘हम अभी भी कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे हैं। देश डॉक्टरों की भर्ती में देरी से स्थिति प्रभावित होती है। आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है, लेकिन सामाजिक न्याय के लिए यह जरूरी है।
क्या था सात जनवरी का फैसला?
सर्वोच्च न्यायालय ने 7 जनवरी 2022 को नीट पीजी में आर्थिक आरक्षण के मुद्दे पर फैसला सुनाया था। न्यायालय ने ऑल इंडिया कोटे में 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को और 27 फीसदी ओबीसी कोटे को बरकरार रखने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद नीट पीजी की काउंसिलिंग का रास्ता साफ हो गया। इसको लेकर लंबे समय से डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे थे। केंद्र सरकार द्वारा काउंसिलिंग शुरू करने के आश्वासन देने के बाद डॉक्टरों की तरफ से विरोध प्रदर्शन समाप्त किया गया था।इससे पहले 6 जनवरी को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा था कि देश में बढ़ रही महामारी को देखते हुए काउंसिलिंग कराना जरुरी है।
उस समय कोर्ट ने कहा था कि नीट यूजी और पीजी के इस सत्र के लिए ईडब्ल्यूएस की आय सीमा 8 लाख रुपए ही रहेंगी। इसमें में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस की आय सीमा की समीक्षा के लिए बनाई गई पांडेय कमेटी की रिपोर्ट पर मार्च के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।