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अब भारत में भी बैन होगा VPN !, जानें पूरा मामला

VPN

कोरोना संकट के चलते देश-विदेश में वर्क फ्रॉम होम को काफी बढ़ावा मिला। कोरोना से लोगों के व्यवसाय की रफ़्तार पर ब्रेक न लगे इसके लिए लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों के लिए VPN के जरिए घर से काम करना काफी उपयोगी भी साबित हुआ। VPN का अर्थ है वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क। भारत में अधिकांश कंपनियां इसका उपयोग अपनी डिजिटल संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए करती हैं।

दुनिया के कोने-कोने तक अब इंटरनेट की पहुंच है। गांव हो या शहर अब हर इंसान के हाथ में मोबाइल और डाटा आपको मिल ही जाएगा।  लेकिन जब इंटरनेट स्पीड धीमी होने लगती है तो हम सर्च करते है कोई ट्रिक जिससे कि इस समस्या का समाधान निकल जाए और सर्च करने पर आपको नजर आता है वीपीएन। कई विज्ञापन भी सामने आते रहते तब हम ये सोचते हैं कि आखिर ये VPN है क्या ? भारत और दूसरे देशों में कुछ वेबसाइट हैं जो बंद है लेकिन इन वेबसाइटस को Access करने के लिए VPN का सहारा लिया जाता है। ब्लॉक वेबसाइट को ओपन करना VPN से आसान होता है।

साइबर खतरों की चेतावनी देते हुए संसदीय स्थायी समिति द्वारा गृह मंत्रालय से भारत में वीपीएन (VPN) को ब्लॉक करने की मांग की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि VPN के इस्तेमाल से अपराधियों को ऑनलाइन गुमनाम रहने में काफी आसानी रहती है और इसी कारण भारत को VPN को स्थायी रूप से ब्लॉक किए जाने के लिए समन्वय तंत्र बनाना चाहिए। साथ ही गृह मंत्रालय को इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की मदद से ऐसे वीपीएन की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ समन्वय करने की जरूरत है।

 

रूस में बैन VPN

जहां भारत में वीपीएन सेवाओं को बंद करने की बात हो रही है, वहीं रूस ने सबसे लोकप्रिय वीपीएन सेवाओं में से 6 को अवरुद्ध कर दिया है। रूस के आधिकारिक संचार नियामक प्राधिकरण ने कहा है कि उसने कुछ प्रमुख वीपीएन सेवाओं को अवरुद्ध कर दिया है। इनमें एक्सप्रेसवीपीएन, नॉर्डवीपीएन और आईपी वैनिश, होलावीपीएन, कीप सॉलिडवीपीएन और स्पीडिफाइवीपीएन शामिल हैं।

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VPN

क्या है VPN ?

वीपीएन का मतलब वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क है। अगर सरल भाषा में कहें तो अगर इंटरनेट के जरिए दो कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े होते हैं, तो इनका कनेक्शन पूरी तरह से निजी होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसका कारण दुनिया को जोड़ने के लिए इंटरनेट एक खुला माध्यम है। कनेक्शन निजी है और सूचना का हस्तांतरण गोपनीय है इस बात को जानने के लिए ही वीपीएन का इस्तेमाल किया जाता है।

दो कंप्यूटरों के आसपास वीपीएन एक वर्चुअल नेटवर्क या पथ बनाता है जो इंटरनेट के माध्यम से जुड़े होते हैं जिन्हें कोई तीसरा पक्ष एक्सेस नहीं कर सकता है। भारत में अब तक वीपीएन का उपयोग करना अवैध नहीं है, हालांकि प्रतिबंधित वेबसाइटों को खोलना अवैध है। लेकिन अब जब वीपीएन को बैन करने की मांग उठने लगी है तो उसका असर वर्क फॉर्म होम पर भी पड़ेगा।

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जिन उपयोगकर्ताओं को पर्याप्त तकनीकी जानकारी अर्जित नहीं है उन लोगों को वीपीएन का उपयोग नहीं करना चाहिए। तकनीकी ज्ञान के अभाव में इन लोगों पर साइबर हमला करना बेहद आसान काम हो जाता है। इसके अलावा वीपीएन कनेक्शन गोपनीय होने के कारण आप पर सुरक्षा एजेंसियों के लिए साइबर हमले की जांच करना आसान नहीं होता। अपने आंतरिक कर्मचारियों तक दूरस्थ पहुँच के लिए बड़े प्रतिष्ठान भी वीपीएन का उपयोग करते हैं। बाजार में वीपीएन के लिए कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं।

Forbes की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक माह में 30 फीसदी लोग कम से कम एक बार VPNs सर्विस के जरिए इंटरनेट का प्रयोग करते हैं। कॉरपोरेट जगत के लिए VPN काफी उपयोगी साबित होता रहा है, इसके जरिए उन्हें डेटा और सर्विस को सुरक्षित रखने में काफी मदद मिलती है। रिपोर्ट के अनुसार, VPN का भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल मोबाइल गेम PUBG खेलने के लिए किया गया।

बैन का क्या होगा असर

इस कोरोना संकट में कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रही हैं। जिसके चलते वह किसी भी लोकेशन से अपने काम को कर पाते हैं। उनका डेटा और नेवटर्क इस दौरान पूर्णरूप से एन्क्रिप्टेड रहता है। लेकिन अगर भारत में VPNs बैन होते हैं तो रिमोटली काम करने में काफी परेशानियां सामने आएंगी।

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