करीब दो साल से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है। यह खतरनाक वायरस हर दिन नए रूप बदल रहा है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। कई देशों में तो तीसरी लहर ने भी दस्तक दे दी है और कई देशों को कोरोना की तीसरी लहर का डर सता रहा है। इस बीच कोरोना वायरस के एक और स्ट्रेन ने दुनिभर के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है।
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इस स्ट्रेन का नाम है ‘c . 37’ जिसे ‘लैम्ब्डा वैरिएंट’ कहा जा रहा है। यह वैरिएंट तेजी से दुनियाभर में पैर पसारने लगा है। अब तक लगभग तीस देशों में इससे संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। पेरू में तो कोरोना महामारी से संक्रमित हुए कुल संख्या में करीब 80 फीसदी संक्रमितों के मामले ‘c . 37 लैम्ब्डा ‘ वैरिएंट से संक्रमित हुए हैं। यह संक्रमण पिछले एक महीने के भीतर ही कई देशों तक पहुंच चुका है।
‘लैम्ब्डा वैरिएंट’ को लेकर चिंता में वैज्ञानिक
वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंता में हैं कि कोरोना का C.37 स्ट्रेन जिसे लैम्ब्डा वैरिएंट हो सकता है कि वैक्सीनेशन को लेकर इम्यून हो और इस पर वैक्सीन का कोई असर न हो। ये स्ट्रेन पेरू में तबाही मचा रहा है और लगातार तेजी से इसके मामले बढ़ रहे हैं। इस वैरिएंट को C.37 स्ट्रेन लैम्ब्डा वैरिएंट का नाम दिया गया है। इसका सबसे पहला मामला दिसंबर 2020 में पेरू में सामने आया था। तब कोरोना के कुल नए मामलों में इस वैरिएंट से संक्रमित मामलों की संख्या करीब 1 फीसदी थी।
80 प्रतिशत नए मामले
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब पेरू में 80 प्रतिशत नए मामले इसी वैरिएंट के हैं और यह करीब 27 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। सैंटियागो की यूनिवर्सिटी और चिली ने लैम्ब्डा स्ट्रेन के प्रभाव को उन वर्कर्स पर देखा, जिन्हें चीन की कोरोना वैक्सीन कोरोनावैक की दो डोज लग चुकी थी। इस रिसर्च के नतीजों के मुताबिक, लैम्ब्डा वैरिएंट गामा और अल्फा से ज्यादा संक्रामक है और इस पर वैक्सीन लेने के बाद बनी एंटीबॉडीज का कोई असर नहीं हो रहा है।
एंटीबॉडीज का भी असर नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस स्ट्रेन में कई तरह के बदलाव आए हैं जिसकी वजह से ये ज्यादा संक्रमक हो गया है और एंटीबॉडीज का भी इस पर असर नहीं हो रहा है। ह्यूमन सेल्स को संक्रमित करने वाले लैम्ब्डा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में सात म्यूटेशंस का एक खास पैटर्न होता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इसकी वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के मामले भी बढ़े हैं।