इस समय पूरे विश्व में कोरोना महामारी अपना कहर बरपा रही हैं। ऐसे में दुनिया के कई देशों की अर्थव्ययवस्था संकट में हैं। इससे अर्थव्यवस्था पर तो गंभीर असर पड़ा ही है साथ ही उद्योग क्षेत्र भी बुरी तरह से प्रभावित है। सबसे अहम बात तो ये हैं कि इलैक्ट्रॉनिक तथा डिजिटल मीडिया तो पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं और अब कोरोना ने तो प्रिंट मीडिया की कमर ही तोड़ दी है।
स्थिति इतनी विकराल हो चुकी हैं कि कई शहरों में अखबारों का वितरण पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसका कारण है कोरोना का संक्रमण। हालात ऐसे हो चुके हैं कि कई अख़बारों ने अपना प्रकाशन बंद कर दिया है। यह इतने मजबूर हो चुके हैं कि इन्हे अब पृष्ठों की संख्या भी कम करनी पड़ रही है। कई अखबारों और पत्रिकाओं को अपने प्रिंट संस्करण बंद करते हुए केवल डिजिटल संस्करणों का सहारा लेना पड़ रहा है।
कई पत्रिकाएं करेंगी प्रकाशन बंद
ऐसे में दक्षिण अफ्रीका से बेहद चिंतनीय खबर है कि कई मीडिया संगठन एक-एक कर अपनी पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद कर रहे हैं। पिछले हफ्ते प्रमुख मीडिया संगठन एसोसिएटिड मीडिया पब्लिशिंग (Associated Media Publishing) की ओर से लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए प्रकाशन बंद कर दिया गया था। तो वहीं अब कोविड-19 का विनाशकारी प्रभाव एक और प्रमुख मीडिया हाउस के बिजनेस पर पड़ा है।
दरअसल, मंगलवार, 5 मई को कॉक्सटन एंड सीटीपी पब्लिशर्स एंड प्रिंटर्स लिमिटेड (Caxton & CTP Publishers & Printers Limited) द्वारा घोषणा की गई कि उसने अपनी 10 पत्रिकाओं का प्रकाशन को रोकने का निर्णय लिया है। जिनमें कंट्री लाइफ (Country Life), एस्सेनशिअल (Essentials), फूड एंड होम (Food & Home), गार्डन एंड होम (Garden & Home), रूईरोज (ROOI ROSE) और बोना (Bona) आदि शामिल हैं।
कंपनी के इस फैसले में दक्षिण अफ्रीका में एक सदी से ज्यादा पुरानी पत्रिका ‘फार्मर्स वीकली’ भी आ सकती है। हालाँकि, अभी कंपनी का कहना है कि वह प्रयास करेंगे कि पुरानी ‘फार्मर्स वीकली’ और दूसरी लोकप्रिय पत्रिका ‘लिविंग एंड लविंग’ का प्रकाशन ना रुके। इसके लिए उनके द्वारा अन्य प्रकाशकों से विचार विमर्श किया जायेगा।
कोरोना से प्रिंट मीडिया का बुरा हाल
हाल ही में प्रेस एसोसिएशन, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन की ओर से प्रिंट मीडिया के मौजूदा संकट पर एक प्रेस नोट जारी किया गया था। जारी नोट में कहा गया है कि लॉकडाउन के तीसरे हफ़्ते में ही इंडियन एक्सप्रेस और बिज़नेस स्टैंडर्ड अख़बार द्वारा पत्रकारों की सैलेरी में कटौती की बात कही गई है।
तो वहीं टाइम्स ऑफ़ इंडिया अख़बार ने संडे मैग्ज़ीन की पूरी टीम को निकाल दिया है। एक न्यूज़ एजेंसी ने अपने यहाँ राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत लोगों को केवल 60 फ़ीसदी सैलरी देना का एलान किया है। ३० अप्रैल से हिन्दुस्तान टाइम्स मराठी भी अपना प्रकाशन बंद करने वाला है ऐसा भी जारी नोट में कहा गया है। क्योंकि यहाँ संपादक सहित पूरे स्टाफ को घर बैठने को कह दिया गया है। आउटलुक मैग्ज़ीन ने भी प्रकाशन बंद कर दिया है। साथ ही उर्दु का अख़बार नई दुनिया और स्टार ऑफ़ मैसूर अख़बार भी बंद हो जायेगा।
१५ से अधिक भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाले अख़बारों के संगठन इंडियन न्यूज़पेपर सोसायटी की ओर से भी कहा गया “स्थिति वाक़ई गंभीर है, प्रिंट मीडिया पर तीहरी मार पड़ रही है, महामारी की वजह से सर्कुलेशन घटा है, विज्ञापनों की संख्या घटी है और न्यूज़ प्रिंट पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी में कोई राहत नहीं है।”
अख़बार से संक्रमण असम्भव
गौरतलब है कि कोरोना काल में बहुत सारे आवासीय परिसरों में हॉकरों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। कई स्थानों पर तो हॉकरों ने स्वयं भी अखबार वितरित करना बंद कर दिया है। जिसका सबसे बड़ा कारण रहा कोरोना को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहें, जिनमें कहा गया कि अख़बार और पत्रिकाओं से भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है। जिसके कारण लोगों द्वारा अपने हॉकरों से अखबार लेने से मना कर दिया गया। जिसके चलते भारत में अखबारों की बिक्री में 60 से 80 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।
सोशल मीडिया पर तीव्र गति से फैलने वाली अफवाहों की न तो कोई डोर है और न ही कोई छोर फिर भी ये फर्जी खबरे और जानकारियां कहीं न कहीं हमारे सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देती हैं। ऐसे में अख़बार और पत्रिकाएं ही एक ऐसा हथियार साबित हुई हैं जिनके माध्यम से लोगों तक सही खबर और जानकारी पहुंचाई जाती रही है। अफवाहों के खिलाफ पत्रिका और अख़बार हमेशा से एक मजबूत हथियार की भूमिका निभाते रहे हैं, परन्तु भारत में फर्जी खबरों का प्रसार इतना तेज हैं कि ऐसा माहौल तैयार कर दिया गया है कि लोगों ने इसकी चपेट में आकर पत्र-पत्रिकाओं से दूरी कायम कर ली है।
इस मामले पर मेदांता अस्पताल के चेयरमैन तथा भारत के प्रमुख हृदय शल्य चिकित्सक डॉ. नरेश त्रेहन का कहना है कि कोरोना का संक्रमण अख़बार या पत्रिका से होना केवल एक अफवाह है। तो वहीं अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन की ओर से भी दावा किया गया है कि अखबार की डिलीवरी से कोरोना वायरस के संक्रमण होने के आसार न के बराबर हैं।