उत्तर प्रदेश में जैसे – जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे – वैसे राज्य में राजनीतिक पार्टियों में जोड़ – तोड़ शुरू हो गई है। हालत यह है कि भाजपा की ओर से रायबरेली के दो कांग्रेसी विधायकों को पार्टी में शामिल किए जाने से कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गांधी को हराने के बाद भाजपा अब रायबरेली में सोनिया गांधी के खिलाफ फील्डिंग जमाने में लगी है।

हरचंदपुर से विधायक राकेश सिंह और रायबरेली सदर सीट की विधायक अदिति सिंह भाजपा में शामिल
एक तरफ भाजपा ने रायबरेली सदर सीट की विधायक अदिति सिंह को पार्टी में शामिल किया है तो वहीं हरचंदपुर से विधायक राकेश सिंह भी योगी की लीडरशिप में भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा सरेनी, बछरावां और सलोन विधानसभा सीट पर पहले से ही भाजपा का कब्जा था। हालांकि इसी साल मई में सलोन से विधायक दल बहादुर कोरी की मौत के बाद से यह सीट खाली है।वहीं ऊंचाहार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के नेता मनोज पांडेय विधायक हैं। इस तरह रायबरेली में अब कांग्रेस का कोई विधायक नहीं बचा है। यह 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को बड़ा झटका है। यही नहीं 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भी कांग्रेस की चिंताओं को बढ़ाने वाला है। रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह भले ही राजनीति में नई हैं, लेकिन उनके पिता अखिलेश सिंह कई बार यहां से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। इससे समझा जा सकता है कि उनका दबदबा किस कदर था। अब उनकी विरासत को अदिति सिंह ने मजबूती से संभाला है और अच्छा संपर्क रखने वाली नेता मानी जाती हैं। कहा जा रहा है कि उनकी एंट्री से भाजपा को रायबरेली विधानसभा सीट पर ही नहीं बल्कि लोकसभा में भी फायदा होगा
राकेश प्रताप सिंह की बात करें तो वह भाजपा के एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के छोटे भाई हैं। दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें कड़ी चुनौती दी थी। इस बार सोनिया गांधी की जीत का अंतर 1 लाख 67 हजार ही था, जो पहले तीन लाख के पार हुआ करता था। 2004 से ही सोनिया गांधी इस सीट पर जीतती आ रही हैं, लेकिन अब नए समीकरण उनके लिए मुश्किलें पैदा करते दिख रहे हैं। दिनेश सिंह ने उनके मुकाबले 3 लाख 67 हजार 740 वोट पाकर दिखा दिया था कि भाजपा अब पहले जैसी स्थिति में नहीं है। साल 2014 में सोनिया ने 3 लाख 52 हजार वोट से चुनाव जीता था।
दिनेश प्रताप सिंह कभी सोनिया गांधी के करीबी हुआ करते थे और उनका परिवार रायबरेली जिले में खासा प्रभाव रखता रहा है। उनकी भाजपा में एंट्री के बाद से ही जिले की सियासी हवा बदली दिख रही है। पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सरेनी, सलोन और हरचंदपुर की सीट अपने दम पर जीतकर चौंका दिया था। अब दो अन्य विधायकों की एंट्री के बाद वह खासी मजबूत होकर उभरी है। इसके अलावा एक दौर में ऊंचाहार सीट भी स्वामी प्रसाद मौर्या की राजनीति का केंद्र रही है, जो अब भाजपा सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में पूरे रायबरेली में ही भाजपा की मजबूत उपस्थिति देखी जा रही है, जो 2022 के विधानसभा चुनावों के अलावा 2024 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है ।