विधानसभा के चुनावों से निपटने के बाद अब उत्तर प्रदेश में विधान परिषद सदस्य यानी एमएलसी का चुनाव होने की तैयारी शुरू कर दी गई है। चुनाव आयोग ने इसके लिए 9 अप्रैल को मतदान करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 36 विधान परिषद सदस्य चुने जाते हैं। इनका कार्यकाल 7 मार्च को समाप्त हो गया है। यह चुनाव 7 मार्च से पहले ही होने थे। लेकिन विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इन चुनावों में करीब 1 महीना की देरी हुई है। विधान परिषद का यह चुनाव भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिस तरह से विधानसभा में भाजपा को बहुमत के साथ मतदाताओं ने स्वीकार किया, इसी तरह विधान परिषद के चुनाव में भी भाजपा को सफलता पाने की उम्मीद है।
पिछले विधान परिषद सदस्य के आंकड़ों की बात करें तो तीन बार के चुनाव में उत्तर प्रदेश में सत्तासीन पार्टी विधान परिषद पर अधिकतर वोट लाकर कब्जा करती रही है। जिस तरह से सत्ताधारी दल को फायदा होता हुआ आया है उसी तरह इस चुनाव में भी एक बार फिर भाजपा की फतह तय बताई जा रही है। प्रदेश में फिलहाल पूर्व की विधान परिषद में सबसे ज्यादा सदस्य समाजवादी पार्टी के थे। जिनकी संख्या 48 थी। इसके बाद भाजपा के सदस्य थे। जिनकी संख्या 36 है। हालांकि इस दौरान समाजवादी पार्टी के 8 विधान परिषद सदस्य पाला बदलकर भाजपा में जा चुके हैं। जबकि इसके अलावा एक बसपा का विधान परिषद सदस्य भाजपा में चले गए हैं। इस तरह देखा जाए तो भाजपा के 44 विधान परिषद सदस्य थे। जबकि सपा सपा के 41 और बसपा तथा कांग्रेस विधान परिषद में जीरो है।