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अब 6 महीने किचन कैबिनेट से पार्टी चलाएगी सोनिया गांधी

पार्टी की सबसे बड़ी संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की सोमवार को जब बैठक शुरू हुई, तो सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ने की पेशकश की। इस दौरान सात घंटे की मैराथन मीटिंग के बाद आखिर निष्कर्ष यह निकला कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अगले 6 महीने तक अध्यक्ष रखा जाएगा।

इस दौरान 6 महीने में नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी। लेकिन इसी के साथ ही यह भी तय हुआ कि सोनिया गांधी एक किचन केबिनेट का भी गठन करेगी। यह किचन केबिनेट गागर में सागर वाली स्थिति की जैसी होगी। जिसमें बहुत कम सदस्य लिए जाएंगे, जो आगामी 6 महीनों तक कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति को नई दिशा देने का काम करेंगे। फिलहाल सर्वसम्मति से यह तय हो चुका है ।

गौरतलब है कि कल करीब 7 घंटे तक कांग्रेस में बड़ी गहमागहमी रही। कांग्रेस के सीनियर लीडर इस बात को लेकर मंथन करते रहे कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा। लेकिन इसी दौरान पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पार्टी अध्यक्ष बदलने के लिए पत्र लिखने वालों पर ही सवालिया निशान उठा दिए गए।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे पर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि जब पार्टी राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में विरोधी ताकतों से लड़ रही थी और सोनिया गांधी अस्वस्थ थीं तो उस समय ऐसा पत्र क्यों लिखा गया। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कहा कि जब हम राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में विरोधी ताकतों से लड़ रहे थे और सोनिया अस्वस्थ थीं तो उस समय यह पत्र क्यों लिखा गया?

राहुल गांधी के यह कहने पर कि जिन लोगों ने पत्र लिखा है वह भाजपा से जुड़े हुए हैं तो वरिष्ठ नेताओं को यह बात खल गई । जिसमें वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तो खुलेआम कह डाला कि अगर वह भाजपा में मिले होते तो राजस्थान की लड़ाई को न्यायालय में इतनी शिद्दत से ना लड़ते हैं ।

बैठक में स्थिति असहज तब हुई जब ‘भाजपा से मिलीभगत’ के राहुल के आरोपों पर विवाद हो गया। बमुश्किल 20-25 मिनट के अंदर पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, ‘हमने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का केस कामयाबी के साथ लड़ा। बीते 30 साल में कभी भी, किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा के साथ मिलीभगत में हैं?’ कुछ देर बात सिब्बल ने ट्विटर से अपना परिचय बदल दिया और कांग्रेस शब्द को हटा दिया।

हालांकि, कल की मीटिंग को कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण माना गया। महत्वपूर्ण इसलिए कि इस दौरान कई नेताओं ने अपने खुलकर विचार रखें। यही नहीं बल्कि इस मीटिंग में वरिष्ठ नेताओं और नवयुवकों नेताओं मे भी आपसी कही नही दिखी । हालांकि थोड़ी बहुत तकरार के बाद स्थिति काफी संभल गई ।

सोनिया गांधी ने बैठक के आखिर में कहा कि हम एक बड़ा परिवार हैं। हममें भी कई मौकों पर मतभेद होते हैं, लेकिन अंत में हम सब एक साथ होते हैं। अभी वक्त की मांग है कि जनता की खातिर ऐसी ताकतों से लड़ें, जो इस देश को कमजोर कर रहे हैं। आगे बढ़ते हैं। जिन लोगों ने चिट्ठी लिखी, उनके लिए मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं है, क्योंकि वह भी मेरा परिवार ही हैं।

बहरहाल, बैठक का परिणाम नहीं निकल सका । अंततः यह तय हुआ कि आगामी 6 महीने तक सोनिया गांधी ही पार्टी की अध्यक्ष रहेंगी। हालांकि अन्य कांग्रेसी नेता इसे इस अवधि को 1 साल करना चाहते थे। लेकिन राहुल गांधी ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए इसे सिर्फ 6 माह तक करा दिया ।अब अगले छह माह बाद ही पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाएगा।

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