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अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनेगी राजनीति का नया अखाड़ा

 

चुनाव नजदीक आते ही गंगा-जमुनी तहजीब पर फिर से प्रहार तेज हो गया है। इस बार निशाने पर मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि है। कुछ धार्मिक संगठनों ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर मथुरा के ईदगाह मस्जिद में पूजा और मूर्ति स्थापित करने की घोषणा की है। इससे प्रशासन में खलबली मच गई है। हालांकि पुलिस प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी एहतियाती कदम उठा रही है।

 

दरअसल ,कुछ धार्मिक संगठनों ने बयान जारी कर कहा है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर शाही ईदगाह मस्जिद के अंदर जलाभिषेक और मूर्ति स्थापित करेंगे। इसके बाद से इलाके में तनाव है। तनाव को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षाबल तैनात कर धारा 144 लगा दी है। मस्जिद की तरफ जाने वाले हर शख्स का पहचान पत्र चेक किया जा रहा है। उसकी तलाशी ली जा रही है। उसके बाद ही मस्जिद की तरफ जाने दिया जा रहा है। मथुरा पुलिस सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रख रही है। एडीजी  प्रशांत कुमार ने कहा है, ‘6 दिसंबर को परंपरा से हटकर कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं किया जाएगा। राज्य में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है। मंदिर-मस्जिद के पीछे से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर नजर रखा जा रहा है।सीसीटीवी और ड्रोन के जरिए भी निगरानी की जा रही है।

क्या है पूरा मामला

 

कुछ दिनों पहले अखिल भारत हिंदू महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास, नारायणी सेना और श्रीकृष्ण मुक्ति दल ने 6 दिसंबर को शाही ईदगाह मस्जिद में  पूजा और मूर्ति स्थापित करने की अनुमति मांगी थी। हिंदू संगठनों का दावा है कि जिस जगह पर मस्जिद है, वहीं पर श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यह मामला तब सामने आया जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट करते हुए कहा था, ‘अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है,अब मथुरा की तैयारी है। इसके बाद ही  इलाके में हिंदू संगठन और सर्क्रिय हो गए। पुलिस इंटेलिजेंस की रिपोट के मुताबिक़  हिंदू संगठनों की धमकियां मिलने के बाद ईदगाह मस्जिद आने वाले लोगों की संख्या में कई गुना बढ़ौतरी हो गई है। इसीलिए यहां आने से पहले पहचान पत्र दिखाने को कहा जा रहा है।

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शाही ईदगाह ट्रस्ट के अध्यक्ष हसन का कहना है कि चुनावों से पहले यह हिन्दू -मुस्लिमों को बांटने के लिए किया जा रहा है। लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है।  हम लोग  5 दशकों से मथुरा में रह रहे हैं। यहां के लोगों ने भगवान कृष्ण और अल्लाह के आशीर्वाद के साथ रहना सीखा है। ईदगाह ट्रस्ट के अन्य सदस्यों का कहना है कि वे कानूनी लड़ाई की भी तैयारी कर रहे हैं। क्योंकि 1991 के कानून से मथुरा और काशी अछूती है। 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने एक कानून पास किया था जिसकी धारा 4 उन सभी धार्मिक स्थलों को संरक्षण देती है जो 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में थीं।  इसमें काशी और मथुरा भी आती है।  इस कानून में ये भी प्रावधान है कि इन धार्मिक स्थलों में बदलाव करने के लिए कोई  कोर्ट भी नहीं जा सकता है।

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