नागालैंड सरकार ने कुछ महीने पहले सचिव को एक पत्र जारी की थी। जिसमें सरकारी कर्मचारियों को यह बताने के लिए कहा था कि क्या उनके परिवार के किसी सदस्य या उनके किसी रिश्तेदार का नागालैंड के अलगवावादी या अंडरग्राउंड संगठनों से किसी भी तरह का कोई भी संबंध है या नहीं।
लेकिन अब लगभग चार महीने बाद नागालैंड सरकार के द्वारा एक बयान में सफ़ाई दी गई है कि राज्य सरकार ने यह आदेश गवर्नर आरएन रवि के जोर देने पर जारी किया गया था।
दरअसल, नागालैंड के अलगावादी संगठनों में से एक NSCN-IM ने इस कदम को प्रतिक्रियात्मक कदम बताया है। और इस संबंध में जारी किए गए पत्र का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि यह संगठन नागा शांतिवार्ता में शामिल संगठनों में से एक है।
वहीं दूसरी ओर इस संगठन की प्रतिक्रिया के बाद सरकार ने सफाई देने शुरू किया है। और अब इस सिलसिले में नागालैंड के राज्यपाल आरएन रवि केंद्र सरकार और नागा चरमपंथी संगठनों के बीच मध्यस्थता भी कर रहे हैं।
नागालैंड सरकार ने 14 फरवरी को गवर्नर ने नागालैंड के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा था। उस पत्र में कहा गया था कि नागालैंड सरकार के हर कर्मचारी को यह बताना पड़ेगा कि उनका या उनके किसी रिश्तेदारों का संबंध नागालैंड के किसी अंडरग्राउंड संगठन से है या नहीं। इतना ही नहीं पुलिस विभाग के कर्मचारियों के लिए अलग से पत्र में इस संबंध में सूचना मांगी गई थी।
नागालैंड के कर्मचारियों को इस संबंध में एक घोषणापत्र पर यह जानकारी देने को कहा गया था। इस संबंध में 24 जून को आरएन रवि ने राज्य सरकार को एक रिमाइंडर भी भेजा था। उसके बाद 3 जुलाई को इनके सलाह पर राज्य के कैबिनट पर विचार किया गया और फिर 7 जुलाई को इस सिलसिले में आदेश जारी की गई।