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अब मुंबई में भी असुरक्षित महिलाएं

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ 22 जनवरी, 2015 में हरियाणा के पानीपत में लॉन्च की गई थी। योजना का उद्देश्य लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को दूर करना और उनके प्रति लोगों की नकारात्मक मानसिकता में बदलाव लाना है। इस योजना के बाद लोग जागरूक तो हुए और महिलाएं अपने हक़ की लड़ाई के लिए सामने आयीं। लेकिन देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा पर रोक नहीं लग पाई है। हर साल यौन हिंसा के मामले बढ़ते जा रहे है जिससे मोदी सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना कठघरे में खड़ी है।

भारत में महिलाओं के लिए सबसे अधिक असुरक्षित राज्य दिल्ली और हरियाणा हैं। लेकिन अब मुंबई शहर भी महिलाओं के लिए असुरक्षित हो गया है। कहा जाता है, मुंबई कभी सोता नहीं है। यहाँ महिलाएं भी आधी रात में खुली सड़कों पर घूमती मिल जाती हैं। लेकिन अब यहां भी महिलाओ की स्वतंत्रता पर किसी की नज़र लग गयी है। यहां दिन प्रतिदिन बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं। इस कारण अब यहाँ महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काफी सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थिति यह है कि आंकड़ों में जिन राज्यों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बताया जाता है। वहां भी रेप बढ़ते ही जा रहे हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2020 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में कुल 28,046 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। यानी प्रतिदिन औसतन 88 महिलाएं इसकी शिकार होती हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ महिलाएं ही इसकी चपेट में हैं बल्कि नाबालिग बच्चियां भी यौन हिंसा की शिकार हो रही हैं। 2019 में रोजाना 3 बच्चियों का यौन शोषण दर्ज किया गया। ऐसे में महिलाओं और युवावस्था से लेकर नवजात लड़कियों को भी सुरक्षा में रखना बेहद मुश्किल हो गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले

एनसीआरबी ने 20 लाख से अधिक आबादी वाले ऐसे शहरों और महानगरों को एक श्रेणी में रखा है जिनमे बीते सालों में सबसे अधिक रेप की घटनाओ को दर्ज किया गया है। इनमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझीकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत आदि शामिल हैं मुंबई सरीखे शहर का नाम इस लिस्ट में होना साबित करता है कि हाल तक देश की सबसे सेफ सिटी कहलाये जाने वाली मुंबई भी अब महिलाओं के लिए अनसेफ हो चुकी है।

2020 में दिल्ली में अधिकतम 967 (38 प्रतिशत) मामले दर्ज किए गए, इसके बाद जयपुर में 409 (16 प्रतिशत), मुंबई में 322 (12 प्रतिशत) मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है। बेंगलुरु में 108 बलात्कार के मामले, चेन्नई में 31 और कोलकाता में 11 मामले दर्ज किए गए। 2020 के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में सबसे अधिक बलात्कार की घटनाएं हुई हैं। वहीं दूसरी तरफ उत्तर भारतीय राज्य, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की सबसे अधिक घटनाओं को दर्ज किया गया हैं। महानगरीय शहरों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बलात्कार की सबसे अधिक घटनाएं दर्ज होती हैं। लेकिन मायानगरी मुंबई ने दिल्ली को पीछे छोड़ दिया है। यदि सुरक्षित कहलाये जाने वाले महानगर में महिलाये असुरक्षित हैं तो सुरक्षित कहा हैं ?

मुंबई में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन हिंसा के मामलों के चलते अब यहाँ की महिलाओं ने खुद अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उठा ली है। वे अपनी सुरक्षा के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। महिलाएं मार्शल आर्ट्स आदि की ट्रेनिंग ले रही हैं। स्कूल-कॉलेजों में भी महिलाओं को अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग दी जाने की योजना बनाई गयी है। इसमें महिलाओं पर हर तरह के किए जाने वाले अटैक को लेकर डिफेंस करना सिखाया जा रहा है। 10 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को स्पेशल सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग मुंबई के हर क्षेत्र में दी जा रही है।

 

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