1 महीने पहले आजम खान के जनसंपर्क अधिकारी फसाहत अली खान ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो सियासी हलचल मच गई थी। सियासी हलचल प्रेस कॉन्फ्रेंस से नहीं बल्कि आजम खान के जनसंपर्क अधिकारी फसाहत अली खान के एक बयान से मची थी। जिसमें उन्होंने अपने तथा आजम खान के धुर विरोधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को निशाने पर लिया।
अखिलेश यादव पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने संकेत दिए कि आजम खान से मिलने तक से वह कतराते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री की इस मामले में सक्रियता नहीं रहीए जिससे आजम खान की जमानत नहीं हो पा रही थी।
आज आजम खान की जमानत हो चुकी है और वह जेल से बाहर आ गए हैं । ऐसे में एक बार फिर आजम खान चर्चाओं के केंद्र में है। चर्चाओं के केंद्र में वह इसलिए है कि हर कोई उन्हें केंद्र में रखकर यह सोच रहा है कि वह अब आगे का कदम क्या उठाएंगे ।मतलब यह है कि वह समाजवादी पार्टी में ही रहेंगे या कोई दूसरी पार्टी में जाएंगे।
आज जब आजम खान जेल से बाहर आए तो उनका स्वागत करने वालों में सबसे आगे समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता शिवपाल यादव थे। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनको जेल से बाहर आने पर ट्वीट करके औपचारिकताएं पूरी की। चर्चा है कि शिवपाल यादव उन्हें अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में लेने के लिए उतावले हैं। अकेले शिवपाल यादव ही ऐसे नहीं है जो आजम खान को अपनी पार्टी में लेना चाहते हैं बल्कि इस लाइन में कई नेता लगे हुए।
बसपा सुप्रीमो मायावती आजम खान की तारीफ कर चर्चाओं में आ चुकी है। वह बसपा में जा सकते हैं। जिस तरह से बसपा और खुद मायावती भाजपा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर राजनीति अपनाएं हुए हैं उससे लगता नहीं कि आजम खान बसपा में जाएंगे।
लेकिन इसी के साथ ही आजम खान के सामने कई राजनीतिक ऑप्शन है। एक ऑप्शन उनके सामने कांग्रेस का भी है। कांग्रेस के नेता प्रमोद कृष्णन उनसे मिलने जेल में पहुंचे थे। तब यह कयास लगाने शुरू हो गए थे कि आजम खान कांग्रेस में जा सकते हैं ।इसके साथ ही रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी आजम खान के बेटे अब्दुल्ला खान से रामपुर में जाकर मिले।
तब से मीडिया में कहा जाने लगा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक बार फिर जाट और मुस्लिम फैक्टर बन सकता है। यही नहीं बल्कि ओवैसी वह पहले नेता है जिन्होंने आजम खान से सबसे पहले मुलाकात की और उन्हें अपनी पार्टी एआईएमआईएम में आने का न्योता दिया था ।
हालांकिए ओवैसी और आजम खान एक म्यान में दो तलवारों सरीखे नहीं रह सकते। क्योंकि दोनों ही बड़े कद के नेता है और दोनों ही अल्पसंख्यकों का नेतृत्व करते हैं। फिलहालए आजम खान के जेल से आने के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
अब कहा जाने लगा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आजम खान जेल से बाहर आकर सक्रिय हो सकते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह रामपुर लोकसभा सीट के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों को प्रभावित कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव में वह किसके साथ रहेंगे और किसके लिए बैटिंग करेंगे यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा।