देश में कोरोना का कहर चरम पर है। लेकिन सब कुछ बंद नहीं किया जा सकता इसके लिए अनलॉक की प्रकिया शुरू की गई है। जिसके बाद कई चीजों को खोलने के लिए राहत दी गई है।
इसी के चलते महाराष्ट्र में जहां एक तरफ सुशांत सिंह राजपूत के मामले को लेकर लगातार उद्धव सरकार निशाने पर है ,तो वहीं दूसरी तरफ मंदिर खोलने की मांग को लेकर राज्य में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। विपक्षी दल भाजपा लगातार इस मामले को लेकर उद्धव सरकार को घेर रही है। इसी बीच अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मंदिर खोलने के मामले पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि क्या सरकार हिंदू भावनाओं के प्रति बहरी हो चुकी है? मुझे आश्चर्य है कि सरकार सोई हुई है या सोने का नाटक कर रही है और हिंदुओं की भावनाओं के प्रति बहरी हो चुकी है। राज ठाकरे ने सरकार से मंदिरों को खोलने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि अगर सरकार ऐसा करने में विफल रहती है तो लोग सारे प्रतिबंध भूलकर अपने भगवान के दर्शन के लिए मंदिर की ओर मार्च करेंगे।
उनका यह पत्र ऐसे समय में सामने आया है जब MIM के सांसद इम्तियाज जलील और वंजीत बहुजन अगाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने राज्य में सभी पूजा स्थलों को फिर से खोलने के लिए स्वतंत्र आंदोलन शुरू किया है।
राज ठाकरे ने सवाल उठाते हुए कहा कि अनलॉक 1, 2, 3, के दौरान कई मानदंडों में ढील दी गई है, मॉल फिर से खोल दिए गए हैं और प्रोटोकॉल के साथ 100 लोगों तक की सार्वजनिक सभाओं की अनुमति है। ऐसे में भगवान को लोगों से दूर क्यों रखा जा रहा है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि ‘इसके बीच, भगवान को उनके भक्तों से अभी भी दूर रखा जा रहा है। मंदिरों को खोलने का इतना विरोध क्यों है?’ राज ठाकरे ने सुझाव देते हुए कहा है कि मंदिरों को फिर से शुरू करने के लिए प्रोटोकॉल तैयार किए जा सकते हैं।
दरअसल महाराष्ट्र में विपक्षी दल बीजेपी ने राज्य में धार्मिक स्थल फिर से खोलने की मांग को लेकर पिछले हफ्ते मंदिरों के बाहर प्रदर्शन किया था। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष फडणवीस ने कहा था कि लोग जानते हैं कि मंदिर खुलने के बाद शारीरिक दूरी का किस तरह पालन किया जाना है। इसी बीच अब MNS के प्रमुख राज ठाकरे ने भी मंदिरों को खोलेने को लेकर उद्धव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।