योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना की पहचान करने के लिए एक शिगूफा छोड़ा था। बाबा रामदेव ने कहा था कि 30 सेकंड तक सांस को रोककर रखें जिससे कोरोना का पता चलने में यह महत्वपूर्ण साबित होगाा। बाबा का कहना था कि 30 सेकंड तक अगर सांस रुक जाता है तो समझो आपको कोरोना नहीं है और अगर सांस नहीं रुकता है तो समझो आपको कोरोना है।
हालांकि, यह वैज्ञानिक तौर पर सही नहीं निकला। इसकी कहीं से कोई पुष्टि नहीं हुई। इसके साथ ही कई तरह के चर्चाएं सामने आती रही। लेकिन कहा जाए तो कोविड-19 का टेस्टिंग करने के बाद ही पता चलता है कि कोरोना है या नहीं है। लेकिन अब एक वैज्ञानिक ने मोबाइल की डिवाइस बनाकर कोरोना की पहचान करने को काफी सरल कर दिया है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और भारत में भी लगातार इसके आगे बढ़ते ही जा रहे हैं। भारत में इसके मरीजों की संख्या एक लाख को पार कर चुकी है।
और अभी तक भी इस वायरस की कोई व्यक्ति नहीं है दवा नहीं बनी है सब लोगों की उम्मीद है कि जल्द से जल्द दुनिया के बड़े-बड़े डॉक्टर एस वायरस की वैक्सीन बना लेंगे लेकिन अभी तक ऐसा मुमकिन नहीं हुआ।
आपको बता दें कि हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आविष्कार किया है एक ऐसे सेंसर का निर्माण किया है जिससे उसके ऊपर छीनने पर या खाने पर पता चल जाएगा कि आपको को रोना है या नहीं और अब यह सेंसर मोबाइल के साथ ही अटैच किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि यह सेंसर डिवाइस सिर्फ 3 महीने में मार्केट में आ जाएगी। यह सेंसर काफी सस्ता होगा। इसकी कीमत करीब 55 डॉलर यानी 4100 रुपए तक हो सकती है।
इस डिवाइस को बनाने वाली टीम के लीडर प्रोफेसर मसूद तबीब अजहर हैं वे कहते हैं कि यह डिवाइस कोरोना वायरस को ट्र्रेक करने में अहम भूमिका निभाएगा मसूद अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ यूटॉ में इंजीनियर हैं।