ब्रिटेन में स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का मस्तिष्क सिकुड़ सकता है। इस शोध में यह पता चला है कि मस्तिष्क के जो हिस्से स्मृति और भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं उन्हें भी कोरोना वायरस संक्रमित कर सकता है। वही इसके अलावा कोरोनावायरस का संक्रमण उस अंग को भी प्रभावित कर सकता है जो गंध और स्वाद को पहचानने में मदद करते हैं।
इस नए शोध के हाल ही में जारी हुए नए निष्कर्षों के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने इन लक्षणों को उन मरीजों में भी देखा जो कोरोनावायरस के संक्रमण से संक्रमित हुए लेकिन किसी भी विशेष इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे। वहीं इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि उन मरीजों में यह लक्षण आंशिक रूप से या लंबी अवधि तक बना रहेगा। इसके लिए विशेष जांच की आवश्यकता है।
इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस में मस्तिष्क सम्बंधित असामान्यताओं के पुख्ता सबूत है। इस शोध के मुताबिक चिकित्सा से संबंधित शोधकर्ताओं ने देखा कि कोरोना वायरस के मरीजों में मस्तिष्क औसत मानव औसतन 0.2 फीसद से 2 फीसद तक सिकुड़ जाता है।
चिकित्सा शोधकर्ताओं के इस शोध के नतीजे विज्ञान से संबंधित पत्रिका नेचर में प्रकाशित हुए हैं। बता दें कि यह शोध उस समय पर पूरा हुआ है जब ब्रिटेन में कोरोना वायरस के अल्फ़ा वैरिएंट का प्रभाव काफी तेजी से बढ़ रहा है।
चिकित्सा शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान 51 से 81 साल के बीच के 785 लोगों के दिमाग का दो बार स्कैन किया। इनमें से 401 रोगी ऐसे थे जिन्हें ब्रेन स्कैन के बीच में पहली बार या दूसरी बार मे कोविड-19 के प्रभाव से पीड़ित हुए थे। वही यह ब्रेन स्कैन पहली बार ब्रेन स्कैन के बाद औसतन 141 दिनों के बाद किया गया था।
वहीं शोधकर्ताओं के अध्ययन में यह भी पता चला है कि कुछ लोग जो कोरोनावायरस से पीड़ित थे, वे लोग “ब्रेन फॉग से भी पीड़ित थे। जिसमें ध्यान एकाग्रता, याददाश्त का कमजोर हो जाना भी सम्मिलित है।