एक बच्चा माँ के गर्भ से निकलने के बाद संसार में आकर परिवार व समाज को देख कर संस्कार ग्रहण करता है। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) संगठन से जुड़े व्यक्ति संवर्धिनी न्यास का कहना है कि ‘गर्भवती महिलाओं को भगवान राम, हनुमान, शिवाजी और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और संघर्ष के बारे में पढ़ना चाहिए।
ताकि बच्चे को गर्भ में ही संस्कार मिल सकें।’इसके लिए आरएसएस की महिला इकाई द्वारा ‘गर्भ संस्कार’ नाम के अभियान की शुरुआत की गई है। न्यास ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें एम्स-दिल्ली सहित कई स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसी कार्यशाला के दौरान न्यास ने गर्भ संस्कार की योजना बनाई।
क्या है गर्भ संस्कार अभियान
गर्भ संस्कार अभियान के तहत, गायनकोलॉजिस्ट्स को गर्भवती महिलाओं से संपर्क करने को कहा जाएगा। गायनकोलॉजीस्ट्स अर्थात चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जो सिर्फ स्त्रियों से संबंधित विशेष रोगों, व उनके विशेष रचना अंगों से संबंधित रोगों एवं उनकी चिकित्सा विषय का समावेश करती है। ये चिकित्सक महिलाओं को शिक्षा देंगे कि जन्म से पहले ही किस प्रकार बच्चे को भारतीय संस्कृति से सिखाई जा सकती है। इतिहास में ऐसी ही एक महिला हुईं शिवाजी की मां, जीजाबाई जिन्होंने शिवाजी जैसे ही एक राजा के जन्म की कामना की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार स्त्री रोग विशेषज्ञ, आयुर्वेदिक डॉक्टर अन्य क्षेत्रों के चिकित्सकों के साथ मिलकर आरएसएस ने योजना बनाई है कि गर्भ में बच्चों को भारतीय सांस्कृतिक की शिक्षा देने की शुरुआत गर्भ से ही कर दी जान चाहिए। जिसके लिए गर्भावस्था के दौरान गीता का जाप, रामायण और योग अभ्यास शामिल होगा। यह अभियान गर्भावस्था से दो साल की उम्र तक के बच्चों के लिए शुरू किया जा रहा है। जिसके तहत बच्चों को गीता के श्लोकों और रामायण की चौपाइयों के जाप पढ़ाए जाएंगे। चिकित्सकों ने भी इस बात पर तर्क देते हुए कहा है कि गर्भ में एक बच्चा 500 शब्द तक सीख सकता है।
डीएनए भी बदला सकता है
कार्यशाला के दौरान ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस के एक डॉक्टर रामा जयासुंदर ने कहा कि आजकल विसंगतियों के साथ पैदा होने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि ‘इस बात से हैरानी होती है कि गर्भावस्था में क्या गड़बड़ हो रही है। गर्भ संस्कार प्रेग्नेंसी के पहले ही शुरू हो जाता है। जैसे ही कोई कपल बच्चे के बारे में सोचता है, आयुर्वेद की बात आ जाती है।’ इसलिए ‘गर्भ साफ’ करने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान गीता पाठ आदि करना चाहिए। उनका दावा है कि अगर ‘गर्भ संस्कार’ सही ढंग से किया जाता है तो बच्चे का DNA भी बदला जा सकता है।
एक हजार महिलाओं तक पहुँचने का संकल्प
गर्भ संस्कार अभियान का उद्देश्य इस बात को सुनिश्चित करना है कि बच्चा गर्भ में संस्कृति और मूल्य संस्कार सीख सकता है और यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक बच्चा दो साल का नहीं हो जाता आरएसएस के एक समर्थक मराठे का कहना है कि न्यास इस अभियान के तहत करीब 1 हजार महिलाओं तक अपनी पहुंच बनाने की योजना बना रही है।