पिछले साल नवंबर माह में शुरू हुआ किसान आंदोलन अब तक छह माह पूरे कर चुका है । इस दौरान आंदोलन में 40 संगठनों का समर्थन मिल चुका है। सभी संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन जैसे ही किसान आंदोलन ने 6 माह पूरे किए एक किसान नेता गुरनाम चढूनी ने अपना किसान फेडरेशन के नाम से अलग संगठन बना लिया।
तब इस संगठन को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे। चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। इस पर चढूनी ने चर्चाओं को विराम देते हुए कह दिया कि उनका फेडरेशन आंदोलन चला रहे संयुक्त किसान मोर्चा का सहयोगी संगठन होगा। लेकिन यह स्थाई होगा। वर्तमान आंदोलन के खत्म होने के बाद भी जब कहीं का किसानों के हितों को लेकर आंदोलन होगा तो उनकी आवाज फेडरेशन उठाएगा।
इससे लगा कि यह चढूनी की बहुत आगे की रणनीतिक योजना के तहत किया गया एक प्रयास है। लेकिन धीरे धीरे चढूनी के इस कदम से पर्दा उठने लगा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसान आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और प्रमुख नेता के तौर पर उभर कर सामने आए राकेश टिकट के पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बजाए हरियाणा में बढ़ते वर्चस्व को कम करने के उद्देश्य से फेडरेशन का गठन किया है। राजनीतिक विश्लेषको की इस बात में दम इसलिए नजर आ रहा है कि पिछले दिनों किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी टिकैत को लेकर कई परस्पर विरोधी बयान दें चुके हैं।
चढूनी के यह बयान किसान आंदोलन की परस्पर राजनीति से मेल खाते नजर नहीं आ रहे हैं। इससे लग रहा है कि कहीं ना कहीं चढूनी के मन में यह टीस है कि टिकैत हरियाणा में खासकर जाट समाज में अपना वर्चस्व बढ़ाते जा रहे हैं। यह सर्वविदित भी है कि जब से टिकैत गाजीपुर बॉर्डर से उठकर देश के किसानों के बीच पहुंचने लगे हैं तब से उनका कद बढ़ा है। पहले उन्हें सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान नेता कहा जाता था।
लेकिन अब वह पूरे देश के किसान नेता के तौर पर स्थापित हो रहे हैं । जाट बाहुल्य हरियाणा प्रदेश में टिकैत को मिल रहा जनसमर्थन उनकी लोकप्रियता को आगे बढ़ा रहा है। राजनीतिक गलियारो में यह चर्चा आम है कि अब गुरनाम चढूनी को टिकैत का हरियाणा में बढ़ता कद नहीं भा रहा है । इसके चलते ही किसान आंदोलन के नेताओं के इतर इधर वह बयान देने लगे हैं।
हिसार प्रकरण को ही ले तो यह स्पष्ट भी हो रहा है कि चढूनी टिकैत के खिलाफ हो रहे हैं। गत दिनों हिसार में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जब कोविड अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे तो वहां किसानों ने प्रदर्शन किया। जिसमें हिंसा हुई। आंदोलनकारियों और पुलिसकर्मी घायल हुए
।
उसके बाद प्रशासन और आंदोलनकारी नेताओं में वार्ता हुई। जहां चढूनी और टिकैत दोनों मौजूद थे। तब चढूनी ने कहा कि आंदोलन को उत्तर प्रदेश में धार देनी चाहिए। उनका मतलब साफ था की टिकैत को हरियाणा में ध्यान देने की बजाय उत्तर प्रदेश में ध्यान देना चाहिए।
जबकि इससे पहले हिसार में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हिसार कमिश्नर ने टिकैत से यह कहा था कि हिसार में ही आन्दोलन क्यों, उत्तर प्रदेश में क्यों नही? इस पर चढूनी ने यह कहकर मामले को चर्चाओं के केंद्र में ला दिया कि उन्हें शर्मिंदगी हुई। मतलब साफ है कि कमिश्नर के बयान का चढूनी ने अनौपचारिक रूप से समर्थन किया। यहां यह भी बताना जरूरी है कि जिस दिन टिकैत हिसार में किसानों के धरना प्रदर्शन में शामिल थे उस दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राकेश टिकैत के गृह जनपद मुजफ्फरनगर में मौजूद थे।
गौरतलब है कि 17 जनवरी 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा ने भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी को सस्पेंड कर दिया था। आरोप था कि गुरनाम सिंह चढ़नी लगातार राजनीतिक दलों से मुलाकात कर रहे थे। यही नहीं बल्कि संयुक्त किसान मोर्चा की सात सदस्यों की कमेटी और सरकार के साथ वार्ता करने वाली कमेटी से अब गुरनाम सिंह चढ़ूनी को हटा दिया गया था। संयुक्त किसान मोर्चा के सूत्रों के मुताबिक, गुरनाम सिंह खुद राजनीतिक पार्टियों से अलग रहने और उन्हें आंदोलन से दूर रखने की बात कहते थे, लेकिन उन्होंने खुद ही राजनीतिक पार्टियों से मुलाकात की। जिसके चलते उनपर यह कार्यवाही हुई थी।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक कहते हैं कि फिलहाल उनका किसी तरफ भी ध्यान नहीं, सिर्फ एक तरफ ध्यान है कि आंदोलन मंजिल हासिल करें। साथ ही वह कहते हैं कि जो भी व्यक्ति इस तरह का बयान दे रहा है उसका सीधा मतलब यह है कि वह आंदोलन को कमजोर कर रहा है। फिलहाल इन सब बातों से ध्यान हटाते हुए किसानों को एकता दिखाने की जरूरत है