भारतीय रिज़र्व बैंक ने सरकार को 1.76 लाख रुपये , लाभांश और सरप्लस पूंजी के तौर पर देने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि इससे मोदी सरकार को सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों को नाजुक हालत को ठीक करने में मदद मिलेगी। लेकिन इस मामले में विपक्षी कांग्रेस पार्टी इस मामले में मोदी सरकार पर सवालिया निशान उठा रही है।
मंगलवार को प्रेस कॉन्फेंस करके पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, “आरबीआई के बोर्ड ने जालान कमेटी की सिफ़ारिश पर एक साथ 1.76 लाख करोड़ रुपए भारत सरकार को ट्रांसफ़र कर दिया। इसमें आरबीआई की 2018 और 2019 की सारी कमाई सरकार को दे दी गई।”
आनंद शर्मा ने आगे कहा, “कुछ दिन पहले कमेटी के मुखिया विमल जालान ने कहा था कि ये पैसा चार-पांच साल के अंदर दिया जाएगा। वो पैसा चार-पांच साल की जगह एक ही बार में दे दिया गया। ये आपतकालीन समय के लिए था। जब देश पर कोई आर्थिक संकट आता है उस स्थिति के लिए था। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरे संकट का पुष्टीकरण होता है। जो ये पैसा सरकार को दिया जा रहा है ये आपातकालीन स्थिति के लिए था।” लेकिन इसके साथ ही रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की स्वायत्तता को लेकर भी चिंता जताई जा रही है।
इसी मामले में पिछले साल आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल और मोदी सरकार में नीतिगत स्तर पर असहमतियां सामने आई थीं और पटेल ने अपना कार्यकाल ख़त्म होने से पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था।