“बचपन से ही मेरे मन में समाज की इस विचारधारा (कन्यादान) को लेकर लगता था कि कैसे कोई मेरा कन्यादान कर सकता है, वह भी मेरी इच्छा के बिना। शादी के समय मैंने परिवार से इस बारे में बात की। मेरी बात को परिवार ने भी माना। इसके बाद वर पक्ष से भी इसे लेकर बात की। उन्होंने ने भी हाँ कर दी। इसके बाद बिना कन्यादान दिए ही मेरी शादी हो गई।

शादी के बाद बहू को मंगलसूत्र पहनना पड़ता है। मांग भरनी पड़ती है। वह भी इसलिए कि बेटे की आयु बढ़े। सरनेम बदले भी बदले तो वो भी हमारा। सिर्फ एक व्यक्ति के लिए दूसरा ही सारी परंपराओं को ढोता रहे। मुझे यह चीजें शुरू से ही पसंद नहीं थी। इस कारण जब शादी में कन्यादान की रस्म आई, तो मैंने स्पष्ट मना कर दिया। जब दो परिवार एक हो रहे हों। दो लोग एक रिश्ते में हैं तो ऐसे में दान की कोई बात ही नहीं आनी चाहिए।”
यह कहना है आईएस तपस्या परिहार का । मध्य प्रदेश की 2018 कैडर की आईएएस तपस्या परिहार ने 12 दिसंबर को हल्द्वानी उत्तराखंड के निवासी आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार से शादी की है। यह शादी चर्चाओं में है।
चर्चाओं में इसलिए है कि तपस्या परिहार ने शादी में होने वाले कन्यादान जैसी परंपरा को स्पष्ट ना कह दिया है। इससे समाज के ठेकेदारों को बहुत बुरा लगा है। समाज के ठेकेदारों ने यहां तक कहा है कि कन्यादान के लिए मना करने वाली इस लड़की को आईएएस किसने बना दिया।
आज तक होता यही आया है कि जब बेटियां घर से विदा होती है तो पिता उनका कन्यादान करते हैं। लेकिन आईएएस तपस्या परिहार ने कन्यादान न करा कर एक मिसाल कायम कर दी है। फिलहाल, तपस्या परिहार कन्यादान न कराने को लेकर सुर्खियों में है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि तपस्या परिहार ने ना केवल कन्यादान बल्कि रिसेप्शन और विदाई में भी नई पहल की है। जिसका अधिकतर बुद्धिजीवी वर्ग स्वागत कर रहा है।
रिसेप्शन के मामले में आज तक होता यही आया है कि वर पक्ष के लोग ही रिसेप्शन कराते आए हैं और यह रिसेप्शन वर पक्ष के घर ही होता रहा है। लेकिन इस मामले में तपस्या ने अलग कर दिखाया है। आईएएस तपस्या परिहार ने रिसेप्शन ना केवल अपने घर में किया है बल्कि विदाई के लिए भी नया प्रतिमान गढ दिया है। शादी के बाद विदाई के लिए बेटी को पहले अपने पिता के घर से वर पक्ष के घर में जाना होता है। लेकिन यहां तपस्या ने अपनी विदाई अपने पिता के कमरे से लेकर अपने कमरे तक कराई।

आईएस तपस्या परिहार के अनुसार बचपन से जब बातें समझ में आने लगीं, तो घर वालों से कन्यादान के बारे में बात करनी शुरू की। शादी में इस तरह क्यों होता है कि बेटियां बड़ी हुईं तो उन्हें अपने ही परिवार से रिश्ता तोड़ना पड़ता है। यह मुझे सही नहीं लगता था। शादी का समय आया तो मैंने गर्वित गंगवार और उसके परिवार से बात की। उन्होंने भी हाँ कर दी। मेरे घर वाले पहले से ही तैयार थे। यह बहुत ही पर्सनल डिसीजन था। हमें लगा नहीं कि हम कोई परंपरा तोड़ रहे हैं। हमारी शादी है इसमें हमारे परिवार वाले राजी हैं। हमें जिस तरीके से जो रस्में करनी है, वैसा कर सकते हैं और किया।
गौरतलब है कि आईएएस तपस्या परिहार मध्य प्रदेश के जिला नरसिंहपुर के जोबा गांव की निवासी है। तपस्या परिहार 2018 में 23 वी रैंक हासिल करके आईएएस बनी है। फिलहाल, वह मध्यप्रदेश के सेंधवा में एसडीएम है। आईएएस तपस्या परिहार और आईएफएस गर्वित गंगवार की मुलाकात 2018 में ट्रेनिंग के दौरान उत्तराखंड के मसूरी में हुई थी । दोनो ने कैडर ट्रांसफर के लिए जुलाई में कोर्ट मैरिज की थी। आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार पहले तमिलनाडु कैडर में थे। गत 26 नवंबर को उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिल गया है।