देश के पूर्वोत्तर राज्य असम और मेघालय के बीच बीते पांच दशकों से जारी सीमा विवाद को काफी समय से चल रही बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कल 29 मार्च को नई दिल्ली में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर कर तो दिए हैं लेकिन यह विवाद अभी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है।दरअसल , दोनों राज्यों के बीच कुल जो 12 जगहों को लेकर विवाद है उसको लेकर इस समझौते में उनमें से छह स्थानों को लेकर जो विवाद चल रहा था उसे सुलझा लिया गया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि अभी यह विवाद सुलझने के बाद भी अनसुलझा है। हालांकि दोनों मुख्यमंत्रियों ने उम्मीद जताई है कि बाकी छह जगहों के विवाद को भी जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। इस समझौते को इलाके में शांति बहाली की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
क्या है असम के साथ मेघालय का सीमा विवाद
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वर्ष 2010 में ऐसी ही एक घटना में लैंगपीह में पुलिस गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे। लेकिन अब इन दोनों राज्यों ने जो ऐतिहासिक कदम उठाया है उस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समझौते का ब्योरा देते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि आज विवाद की 12 जगहों में से छह पर असम और मेघालय के बीच समझौता हो गया है। सीमा की लंबाई की दृष्टि से देखें तो लगभग 70 फीसदी सीमा विवाद-मुक्त हो गया है। मुझे भरोसा है कि बाकी छह जगहों को लेकर जारी विवाद को भी निकट भविष्य में सुलझा लिया जाएगा।
गृह मंत्रालय में समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद हिमंत ने कहा, “यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है। इस समझौते के बाद अगले छह-सात महीनों में बाकी विवादित इलाकों की समस्या का समाधान करने का लक्ष्य रखा गया है।
मॉडल बन सकता है ताजा समझौता
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा का कहना था, “प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की ओर से इस सीमा विवाद को सुलझाने पर बहुत जोर दिया गया। उनकी दलील थी कि जब भारत-बांग्लादेश आपसी सीमा विवाद को सुलझा सकते हैं तो देश के दो राज्य क्यों नहीं। हमने 12 में से छह विवादों को सुलझा लिया है। इससे सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल होगी।
इससे पहले दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दो महीने पहले 29 जनवरी को गुवाहाटी में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। उसे 31 जनवरी को जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया था। इस समझौते के तहत 36.79 वर्ग किमी इलाके के लिए प्रस्तावित सिफारिशों के मुताबिक असम 18.51 वर्ग किमी जमीन अपने पास रखेगा और बाकी 18.28 वर्ग किमी मेघालय को देगा। राजनीतिक पर्यवेक्षक एन संगमा कहते हैं, “यह समझौता पूर्वोत्तर राज्यों के दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक मॉडल के तौर पर काम करेगा।
एक अन्य पर्यवेक्षक धीरेन कलिता कहते हैं, “सीमा विवाद की जड़ें असम के बंटवारे में ही छिपी हैं। बीते पांच-छह दशकों के दौरान इस मुद्दे को सुलझाने की कोई ठोस पहल नहीं हुई , लेकिन अब ताजा समझौते से पूर्वोत्तर में इस विवाद के सुलझने की उम्मीद बढ़ गई है।