पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनाव ऐलान के साथ सियासी तपिश बढ़ गई है,त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। त्रिपुरा में 16 फरवरी और बाकी दोनों राज्यों में 27 फरवरी को मतदान होगा जबकि नतीजे 2 मार्च को आएंगे। पूर्वोत्तर की जंग भाजपा और कांग्रेस के लिए काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि इस चुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के भविष्य तय करने वाले हैं। इसलिए मिशन-2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। त्रिपुरा में भाजपा अपने दम पर सरकार में है तो मेघालय और नगालैंड में सहयोगी के तौर पर सरकार में शामिल हैं।
दरअसल,साल 2014 के बाद से भाजपा पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी सियासी ताकत के रूप में उभरी है। ऐसे में भाजपा के सामने पूर्वोत्तर में अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखने की चुनौती है तो कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में वापसी के लिए बेताब है,तो वही कांग्रेस भी अपनी तैयारियों में जुटी हुई है। हालांकि त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में कांग्रेस का संगठन कमजोर हुआ है और उसकी जगह टीएमसी जैसे दलों ने तेजी से अपना पसार रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पूरा फोकस पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस का विकल्प बनने की है, जिसके लिए उन्होंने अपना पूरा फोकस केंद्रित कर रखा है।
इसके चलते ही कांग्रेस ने त्रिपुरा में लेफ्ट पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है, क्योंकि उसके साथ-साथ लेफ्ट के लिए भी टीएमसी एक बड़ी चुनौती बन गई है। त्रिपुरा का मुकाबला त्रिकोणीय बन रहा है, जिसमें भाजपा , टीएमसी और कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के बीच होगा।इस साल जिन 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें 3 राज्यों में भाजपा की अपने दम पर सरकार है, जबकि 3 राज्यों में वह सरकार में सहयोगी की भूमिका निभा रही है। भाजपा त्रिपुरा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में अपने दम पर सत्ता में है जबकि मेघालय में एनपीपी और नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की सरकार में सहयोगी दल के रूप में शामिल हैं।
कांग्रेस अपने दम पर सिर्फ दो राज्यों में छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता में है जबकि 5 साल पहले 2018 में चुनाव हुए तो चार राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही थी, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने कर्नाटक और मध्य प्रदेश ऑपरेशन लोटस के जरिए कांग्रेस के हाथों से छीन लिया था। वहीं तेलंगाना में केसीआर सत्ता पर काबिज हैं,ऐसे में पूर्वोत्तर के इन 3 राज्यों के चुनावी नतीजों का आगामी चुनाव पर भी प्रभाव पड़ेगा, जिसके चलते भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ क्षेत्रीय दल भी पूरी ताकत झोंक दी है।
इसके बाद ही 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है,ऐसे में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनावी नतीजों का असर आगामी चुनाव वाले राज्यों पर भी पड़ेगा। इसी के मद्देनजर भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस साल होने वाले सभी विधानसभा चुनावों को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अहम बताते हुए सभी राज्यों में जीत हासिल करने का आह्वान किया है,जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि इन 3 राज्यों के चुनाव में जिस भी पार्टी को जीत मिलेगी उससे आगामी चुनाव में उसके लिए सियासी आधार तैयार करने का मौका भी मिलेगा। इसीलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अहम हैं।