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नोएडा प्राधिकरण स्कैम : कैग रिपोर्ट पर क्या होगा योगी सरकार का ऐक्शन ?

एक तरफ जहां सीबीआई जैसी सर्वोच्च जांच एजेंसी ने नोएडा प्राधिकरण के हजारों करोड़ रुपए के घोटालों का खुलासा करके आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है तो वहीं दूसरी तरफ देश की न्यायिक संस्था सर्वोच्च न्यायालय भी गत दिनों नोएडा प्राधिकरण में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरेआम तल्ख टिप्पणी  कर चुका है। प्राधिकरण में हुए घोटालों की एक विशेष बात यह भी है कि जिस भी भ्रष्टाचार और घोटाले का खुलासा होता है वह सैकड़ों और हजारों करोड़ में होता है। इस बार कैग (नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक) की रिपोर्ट में  भ्रष्टाचार का आकलन 14 हजार करोड़ का बताया जा रहा है। भले ही इस कैग रिपोर्ट में सपा और बसपा शासन काल के घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार के कारनामे सामने आए हैं, लेकिन अगर परतें हटाई जाएं तो इन प्राधिकरणों में बैठे अधिकतर अधिकारियो के कारनामे सामने आयेगे। लोगों की नजर अब जीरो टॉलरेंस की सरकार का दावा करने वाली योगी सरकार पर है। योगी सरकार कैग रिपोर्ट की खुलासे के बाद अब इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है इस पर सभी की नजर लगी है।
नोएडा प्राधिकरण में बैठे अधिकारियों ने जिस तरह अपने चहेतों को भूखंडों का आवंटन करते हुए 10 वर्षों ( मई 2006 से अगस्त 2016 )  में भ्रष्टाचार का रिकार्ड तोडा वह सवालों और संदेहो के घेरे में है।  सवाल यह है कि क्या आवंटित किए गए 75 भूखंडों के आवंटन में 14 हजार करोड़ रुपये का राजस्व को चूना लगाने वाले अधिकारियों पर योगी सरकार कार्रवाई करेगी या यह सिर्फ चुनावी शगुफा बनकर रह जाएगा?  17 दिसंबर 2021को उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रस्तुत कैग रिपोर्ट ने प्राधिकरण के घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार के अलावा कई पोल खोल कर रख दी हैं। यहां तक कि कैग रिपोर्ट ने तो नोएडा प्राधिकरण के औद्योगिक प्राधिकरण होने पर ही सवालिया निशान लगा दिया है।
कैग ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख किया है कि यू पी इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट एक्ट 1976 के प्राविधानों के तहत गठित नोएडा अथॉरिटी, जिसका मुख्य उद्देश्य उद्योगों को बढ़ावा देने का है, उद्देश्यों की प्राप्ति में पूरी तरह असफल रही है।कैग रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट खुलासा किया गया है कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा अर्जित भूमि का कुल 5 फीसदी भूमि ही मुख्य उद्देश्य यानि कि इंडस्ट्रीज के लिए विकसित की गई है। जबकि 95 फीसदी भूमि आवासीय और कमर्शियल के तौर पर बेची गई है। कैग ने इंडस्ट्रियल, रेजिडेंशियल और कमर्शियल तीनों ही तरह के भूखंडों के आवंटन में बहुत सी अनियमितताओं का खुलासा किया है। जिसमें अर्जेंसी क्लॉज  और डिस्क्रिशनरी पावर्स का खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग किया गया है।
भूखंडों के आवेदन पत्रों की स्क्रीनिंग में भी भारी धांधली पाई गई है। कैग ने जांच में कुछ ऐसे भूखंडों का भी खुलासा किया है जो आबंटित तो इंडस्ट्रीज के लिए हुए थे लेकिन उन पर अन्य गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। कैग रिपोर्ट के अनुसार ऐसे ही दस भूखंडों पर तो आवंटियों ने बगैर कन्वर्जन चार्ज जमा कराए और बगैर मैप स्वीकृत कराए कार शोरूम खोल रखें हैं।

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