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नोएडा प्राधिकरण में आग,20 हजार करोड़ के घोटाले को खाक करने का षडयंत्र तो नहीं ?

नोएडा विकास प्राधिकरण के सेक्टर 6 स्थित मुख्यालय में आज सुबह फिर आग लग गई है। आग लगने के दो घंटे बाद ही नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रीतू माहेश्वरी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। यही नहीं बल्कि माहेश्वरी ने जांच के लिए 6 सदस्यीय कमेटी का भी गठन कर दिया है।

ऐसा नहीं है कि यह आग पहली बार लगी है। इससे पहले भी एक साल पूर्व इसी तरह आग लगी थी । वह आग और यह आग दोनों एकसमान है। एकसमान इसलिए है कि एक साल पूर्व जब 26 जून को नोएडा प्राधिकरण में आग लगी और महत्वपूर्ण फाइलें खाक हुई तो तब कहा गया कि यह आग शार्ट सर्किट से लगी है ।

 

 

हालांकि तब भी इसी तरह आग के जलने के कारणों और कितनी फाइलों का स्वाहा हुआ उनकी जांच के लिए 7 दिन का समय दिया गया था । बकायदा विशेष कार्याधिकारी की अध्यक्षता में जांच कमेटी भी बनी थी। इस बार भी प्रथम दृष्टा ऐसा ही घोषित किया जा चुका है।

9 बजे आग लगी और 10 बजते – बजते तक कहा जाने लगा कि दफ्तर में आग शार्ट सर्किट के जरिए लगी है। सवाल फिर भी वही खड़ा है, जो एक साल पहले था । वह यह कि जब जांच हुई ही नहीं तो कैसे कहा जा रहा है कि यह आग शॉर्ट सर्किट से लगी है ?

कहा जा रहा है कि पूर्व की भांति इस बार भी आग की जांच की औपचारिकता पूर्ण कराई जाएगी । जिस तरह पहले एक सप्ताह का समय जांच के लिए दिया गया था, हो सकता है इस बार लॉकडाउन के चलते 2 सप्ताह का समय दे दिया जाए। लेकिन कहा जा रहा है कि होगा वही ‘ढाक के तीन पात’ । जब एक साल से पहली जांच पूरी नहीं हुई तो यह जांच भी पूरी होगी या नही कहना मुश्किल है। इस जांच में कितना समय लगेगा यह तो भविष्य में ही पता चलेगा।

 

 

लेकिन फिलहाल इतना है कि याद आग खुद जली है या जलाई गई है यह जांच इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि पिछले कुछ सालों से नोएडा विकास प्राधिकरण में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है ।

देखा जाए तो जब से विकास प्राधिकरण की स्थापना हुई है तब से ही यह ऑफिस घोटालों और घपलो का अड्डा बन गया है। इस अड्डे पर कभी यादव सिंह का साम्राज्य रहता है , तो कभी एक पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का। लेकिन इस बार जब से प्रदेश में महाराज जी का राज हुआ है, तब से नोएडा प्राधिकरण में किसी की अड्डेबाजी नहीं चल रही है।

खुद महाराज जी यानी प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि नोएडा प्राधिकरण में 20 हजार करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया गया था। यह घोटाले तब हुए थे जब पूर्व में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं।

योगी आदित्यनाथ ने करीब एक साल पूर्व नोएडा प्राधिकरण में कैग यानी सीएजी का ऑडिट कराया था । यह अकस्मात था या कोई साजिश थी कि नोएडा प्राधिकरण में पहली आग 26 जून 2019 को उस समय लगी थी जब सीएजी का ऑडिट चल रहा था। तब प्राधिकरण के अफसरों पर सीएजी ऑडिट के लिए दस्तावेज देने की कार्रवाई चल रही थी। इसी दौरान आग लग गई थी ।

 

 

ध्यान रहे कि यह ऑडिट पिछले 10 साल का था। जिसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है। लेकिन अभी तक भी उस पर कोई कार्रवाई न होना अपने आप में सवालिया निशान लगाता है।

याद रहे कि 26 जून 2019 को जब आग लगी थी तो वह वर्क सर्किल 10 के कार्यालय के पीछे एक जूनियर इंजीनियर के ऑफिस में लगी थी। जूनियर इंजीनियर का यह ऑफिस जलकर खाक हो गया था । जिसमें बहुत सी महत्वपूर्ण फाइलें भी स्वाहा हुई थी।

तब प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ आलोक टंडन जांच के आदेश दिए थे । जिसमें प्राधिकरण के विशेष कार्य अधिकारी अविनाश त्रिपाठी को जांच अधिकारी बनाया गया था। जांच पूर्ण करने का समय 7 दिन का दिया गया था ।

 

 

लेकिन एक साल होने को आया आज तक जांच पूरी नहीं हुई है। हालांकि तब कहा जा रहा था कि यह आग कुछ घपले और घोटालों की फाइलों को स्वाहा करने के लिए लगी थी या लगाई गई थी।

इस बार की आग प्राधिकरण के इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड रूम में लगी है। स्वाभाविक है कि यहां महत्वपूर्ण आवंटनो की फाइलें होंगी । अब यह फाइलें आग में स्वाहा हो चुकी है या बच गई है यह तो आग बुझने के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन फिलहाल चर्चा यह है कि एक साल की भांति इस बार भी आग स्वाभाविक नहीं लगी होगी । कारण घोटालों की फाइलों को स्वाहा करना हो सकता है ।

पिछले साल 26 जून को जो आग लगी थी इसमें बताया जा रहा है कि 2005 के समय में जिन घोटालों को अंजाम दिया गया, वह फाइलें आग की भेंट चढ गई थी। इस बार कौन से घपले , घोटाले की फाइलें आग में स्वाहा हुई है यह सामने आना बाकी है।

लेकिन फिलहाल चर्चाओं का बाजार गर्म है। अभी से कहा जाने लगा है कि यह आग किसी षड्यंत्र का हिस्सा हो सकती है। जिसमें 20 हजार करोड़ का घोटाला दफन करने का मामला भी हो सकता है। अब प्राधिकरण की जांच कब आएगी और उस जांच में क्या दर्शाया जाएगा, यह देखना बाकि है।

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