जब दिवाली की बात होती है तो लोगों को पटाखों की याद आती है, फूलझड़ियों की बात होती है। जब पटाखों की बात होती है तो निश्चित तौर पर लोगों को प्रदूषण याद आता है। क्योंकि हँवा में इतना ज्यादा धुआँ बढ़ जाता है की लोगों को साँस लेने में तकलीफ होती है। अक्सर देखा जाता है कि दीपावली पर दिल्ली में काफी प्रदूषण हो जाता है। पिछले साल दीपावली पर दिल्ली में काफी प्रदूषण हो गया था। इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में ‘ग्रीन क्रैकर’ बेकने का फैसला किया गया है। इसलिए इस साल प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए बाजार में ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री की जाएगी।
पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन के चीफ एमके झाला ने बताया कि इस दीपावाली पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन क्रैकर्स का इस्तेमाल होगा। और साथ ही बताया कि ‘ग्रीन क्रैकर्स में जो सामग्री डाली गई है, उसमें बेरियम नाइट्रेट नहीं है।
जिन निर्माताओं ने अपने पटाखों में बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल नहीं किया, हमने उन्हें ग्रीन क्रैकर्स की केटेगरी में रखा है.’ ग्रीन क्रैकर्स को जलाने पर तेज आवाज और अच्छी खास रौशनी भी निकलेगी, जैसे कि आम पटाखों में होती है। लेकिन इससे धुआं कम होगा। इन पटाखों में एल्युमिनियम और बेरियम सॉल्ट का इस्तेमाल कम होगा।
इसी के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हम सामूहिक दिवाली मनाने की योजना बना रहे हैं। हम दिल्ली वालों को साथ में दिवाली मनाने के लिए बुलाएंगे। लेजर फायरवर्क्स की व्यवस्था होगी और सभी एक जगह पर मिलेंगे. इसके बाद लोग अपने घर जाकर दिए जला सकते हैं। अगर वे नहीं आना चाहते तो वे टीवी पर इसे देख सकते हैं। अगले साल हम इसे बड़े स्तर पर आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.’ लेकिन केजरीवाल की एक चिंता दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में जलने वाले पटाखों को लेकर है। केजरीवाल कहते हैं, ऐसा नहीं है कि हम लोग प्रदूषण के लिए कुछ नहीं कर सकते। हरियाणा ने किया है,पंजाब कर रहा है. इस बार नवंबर के महीने में हमने बड़े स्तर पर मास्क बांटने की योजना भी बनाई है।