राजस्थान की पुलिस पर बड़ा सवालिया निशान लगाते हुए अलवर के सत्रा न्यायालय ने पहलू खान की हत्या के सभी 6 अभियुक्तों को संदेह का नाम देते हुए स्वतंत्राता दिवस की पूर्व सन्ध 14 अगस्त को बरी कर दिया। 1 अप्रैल, 2017 को कथित तौर पर गौर तस्करी कर रहे पहलू खान, उनके दो बेटों सहित चार लोगों पर जानलेवा हमला हुआ था। जिसमें पहलू खान की मृत्यु हो गई थी। अलवर सेशन कोर्ट की एडिशनल ड्रिस्टिक जज डाॅक्टर सरिता गोस्वामी ने अपने 92 पेज के पफैसले में राजस्थान पुलिस पर कठोर टिप्पणी करते हुए लिखा है ‘इस जांच को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता क्योंकि इसमें कई गंभीर कमियां है।’। अदालत ने इस मामले के जांच अध्किारी रमेश सिनसिवार, तत्कालीन एसएचओ, थाना बहरोड़ की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाये हैं। रमेश सिनसिवार ने न तो इस माॅब लींचिंग को रिकार्ड किए गए विषयों की पफाटेन्सिक जांच करवाई न ही उस मोबाइल पफोन को जब्त किया जिसमें इस वीड़ियों को बनाया गया था। अदालत ने अस्पताल में गंभीर रूप से घायल पहलू खान के मृत्यु पूर्व बयान को दर्ज करते समय भी एसएचओ रमेश द्वारा वही प्रोसिजर न अपनाने की बात कही है। अदालत ने अपने पफैसले में यह भी कहा कि पहलू खान के बयान को 16 घंटे की देरी बाद संबंध्ति पुलिस स्टेशन में पेश किया गया। इतना ही नहीं जांच अध्किारी रमेश सिनसिवार ने अभियुक्तों के मोबाइल डाटा तक की जांच नहीं की जिससे उनके घटना स्थल में मौजूद होने की पृष्टि हो पाती।
बदलते भारत के पैरोकार इस अदालती पफैसले से कम से कम एक संदेश देने में सपफल रहे हैं कि ‘कानून के हाथ अब पूरी तरह काटे जा चुके हैं। भारत बदल रहा है। यहां वही होगा तो नए भारत की अवधरणा को सशक्त करता है।’ पिछले दिनों ह्मूमन राइट्स वाॅच सस्था कि एक रिर्पोट इस बात की तब्दीक करती नजर आती है। इस रिपोर्ट के अनुसार मई-2015 से दिसंबर 2018 के बीच 12 राज्यों में माॅब लिंचिंग के चलते मारे गए 44 लोगों में से 36 मुसलामन थे।