देश में लोकसभा चुनाव वर्ष 2024 में होने वाले हैं। इस चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी पार्टिया अभी से तैयारी में जुट गई हैं। इसके लिए एक ओर जहां मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में है वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिखरे हुए विपक्ष को एकजुट में लगे हुए है |
दरअसल,11 दिसंबर को जनता दल यूनाइटेड के कार्यक्रम में नीतीश ने कहा कि अगर भाजपा के खिलाफ अधिकतर विपक्षी पार्टियां एकजुट हो जाएंगी तो 2024 में भारी बहुमत से हमें जीत मिलेगी। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि उन्होंने लगभग सभी पार्टियों से बात कर ली है अगर कुछ समय के बाद अधिक से अधिक पार्टियां एकजुट हो जाएंगी तो थर्ड फ्रंट नहीं मेन फ्रंट बनेगा। इसके लिए कोशिश भी कर रहे है,उनकी बात मानी गई तो भाजपा अगले आम चुनाव में हार जाएगी। बता दे कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसी साल भाजपा गठबंधन से अपना नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे। इसके बाद से ही लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों का एक मजबूत फ्रंट बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पहले ही दिल्ली जाकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल,सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव तो पटना आकर नीतीश कुमार से मिले थे। जिसके बाद जेडीयू के तमाम नेताओं ने उन्हें 2024 के चुनाव में प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया था। हालांकि नीतीश कुमार ने कई बार कहा था कि वह किसी पद की दौड़ में नहीं हैं और उनका मकसद सिर्फ विपक्षी दलों को एकजुट करना है।
नीतीश कुमार के विपक्षी गठबंधन में आने और हिमाचल प्रदेश चुनाव के नतीजों ने विपक्ष को नई ऊर्जा दी है। हालांकि नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को इस बात के लिए चेताया जरूर है कि अगर उनकी बात को नहीं मानेंगे तो फिर वह भी इसमें कुछ नहीं कर सकते है। नीतीश कुमार ने इस बात पर जोर दिया है कि विपक्षी दलों को भाजपा गठबंधन का मुकाबला करने के लिए एकजुट होना ही होगा। इतना ही नहीं नीतीश कुमार ने कहा कि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को जिस तरह का समर्थन मिल रहा है, उससे भी विपक्ष चुस्त-दुरुस्त होता दिख रहा है। इस पर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नीतीश कुमार जिस तरह से विपक्ष को एकजुट करने के लिए मेन फ्रंट की बात कर रहे है,उससे यह लग रहा है कि नीतीश भाजपा के खिलाफ पूरी ताकत के साथ लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।
हालांकि नीतीश कुमार जिस विपक्षी एकता की बात कर रहे है,उसमे कई बाधाएं भी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्षी एकता की पैरवी कर चुकी हैं लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ आने के लिए तैयार नहीं दिखाई दे रहे है। हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि वह चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे। कांग्रेस के कई नेता आम आदमी पार्टी को भाजपा की बी टीम बता चुके हैं। इस पर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि,क्या ओडिशा में सरकार चला रहा बीजद, आंध्र प्रदेश में सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस और एआईएमआईएम भी विपक्षी गठबंधन के साथ आएंगे।
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सभी विपक्षी दल एक मंच पर नहीं आए तो क्या भाजपा के खिलाफ कोई मजबूत फ्रंट बना पाएंगे। इससे पहले साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की तमाम कोशिशें हुई थी लेकिन यह कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी,तब तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अलग-अलग कोशिश की थी कि विपक्षी दलों को एकजुट किया जाए लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका था। देखना तो यह होगा कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले क्या विपक्षी दल एकजुट हो पाएंगे।