बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि किसी भी मजदूर को पैसा देने की जरूरत नहीं है। सभी मजदूरों को क्वारेनटीन सेंटर में रखा जाएगा और इसके बाद उन्हें एक-एक हजार रुपये दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा, “मैं बिहार के लोगों को वापस भेजने के सुझाव पर विचार करने के लिए केंद्र को धन्यवाद देना चाहता हूं। अन्य राज्यों में फंसे बिहार के लोगों को वापस बिहार भेजने के लिए केंद्र को शुक्रिया। किसी को भी टिकट के लिए भुगतान नहीं करना पड़ेगा। उनके लिए यहां क्वारेनटीन सेंटर बनाया गया है।”
नीतीश कुमार ने कहा, “बाहर से आए सभी प्रवासी 21 दिनों तक क्वारेनटीन सेंटर में रहेंगे। इसके बाद उन्हें एक-एक हजार रुपये की न्यूनतम राशि बिहार सरकार की ओर से दी जाएगी। इस योजना के तहत राज्य सरकार ने 19 लाख लोगों को पहले ही एक-एक हजार रुपये दिए थे।
आदरणीय @NitishKumar जी, ग़रीब मज़दूरों की तरफ़ से 50 ट्रेनों का किराया राजद वहन करने के लिए एकदम तैयार है क्योंकि ड़बल इंजन सरकार सक्षम नहीं है।कृपया अब अविलंब प्रबन्ध करवाइए।@SushilModi जी- कुल जोड़ बता दिजीए, तुरंत चेक भिजवा दिया जाएगा। वैसे भी आपको खाता-बही देखने का शौक़ है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 4, 2020
इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर निशाना साधा था। तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीट में लिखा था, “15 साल वाली डबल इंजन सरकार बिहारी मज़दूरों को वापस नहीं लाने के बहाने खोजकर टाल-मटोल कर रही है। 5 दिनों में 3 ट्रेनों से लगभग 3500 लोग ही वापस आ पा रहे है। कभी किराया, कभी संसाधनों तो कभी नियमों का रोना रोते है। नीतीश सरकार की मंशा मज़दूरों को वापस लाने की कतई नहीं है।”
राष्ट्रीय जनता दल शुरुआती तौर पर बिहार सरकार को अपनी तरफ़ से 50 ट्रेन देने को तैयार है।
हम मज़दूरों की तरफ़ से इन 50 रेलगाड़ियों का किराया असमर्थ बिहार सरकार को देंगे। सरकार आगामी 5 दिनों में ट्रेनों का बंदोबस्त करें, पार्टी इसका किराया तुरंत सरकार के खाते में ट्रांसफ़र करेगी।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 4, 2020
उन्होंने कहा था कि हम शुरुआती तौर पर बिहार सरकार को अपनी तरफ़ से 50 ट्रेन देने को तैयार है। सरकार आगामी 5 दिनों में ट्रेनों का बंदोबस्त करें, पार्टी इसका किराया तुरंत सरकार के खाते में ट्रांसफ़र करेगी।
15 साल वाली ड़बल इंजन सरकार अप्रवासी बिहारी मज़दूरों को वापस नहीं लाने के बहाने खोज टाल-मटोल कर रही है।
5 दिनों में 3 ट्रेनों से लगभग 3500 लोग ही वापस आ पा रहे है।
कभी किराया, कभी संसाधनों तो कभी नियमों का रोना रोते है।नीतीश सरकार की मंशा क़तई मज़दूरों को वापस लाने की नहीं है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 4, 2020