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महिला सुरक्षा को लेकर घिरी नीतीश सरकार

वर्ष 2018 में मुजफ्फरपुर के एक महिला संरक्षण गृह में 29 बालिकाओं के साथ बलात्कार की भयावह सच सामने आने के बाद पूरे देश में हंगामा मच गया था। तब नीतीश सरकार ने निष्पक्ष जांच कराने और राज्यभर के संरक्षण गृहों की सुरक्षा चौकस करने का भरोसा दिलाया था। अब एक पुलिस अधिकारी का ऑडियो लीक करने के बाद एक बार फिर से इन संरक्षण गृहों में चल रहे घिनौने खेल का सच सामने ला नीतीश सरकार के लिए मुसीबत बनता नजर आ रहा है

देश में लड़कियों एवं महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध की घटना के बाद कुछ दिन के लिए राजनीतिक पार्टियां, सामाजिक संगठन और आम लोग सड़कों पर आ जाते हैं। शासन-प्रशासन भी कुछ दिन सख्ती दिखाता है, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं होता। हालत यह है कि बालिकाओं और असहाय महिलाओं के लिए खुले संरक्षण गृह या नारी निकेतन ही दुराचार को लेकर निरंतर सुर्खियों में आते रहे हैं। खासकर पिछले कुछ वर्षों से बिहार के शेल्टर होम लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। हालांकि 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के बाद से राज्यभर में चल रहे 11 बालिका गृह की सुरक्षा बेहद सख्त तो कर दी गयी है। लेकिन सुरक्षा देने वाले ने ही शेल्टर होम को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया हैं।

क्या है मामला

बिहार के पश्चिमी चंपारण के थानाध्यक्ष का एक ऑडियो वायरल हो रहा हैं इस ऑडियो में थाना अध्यक्ष कहते दिख रहे हैं कि ‘शाम होते ही बड़ी-बड़ी गाड़ियां शेल्टर होम के बाहर आती हैं और लड़कियों को अपने साथ बाहर लेकर जाती हैं।’ यह ऑडियो इस समय बिहार में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस ऑडियो की जांच भी हुई। जांच में इस ऑडियो को सही पाया गया जिसके बाद थानाध्यक्ष को सस्पेंड कर दिया गया है। 23 मार्च को बैरिया थाना क्षेत्र के एक गांव से एक नाबालिक लड़की का अपहरण किया गया था। बैरिया थाना के चौकीदार शंभू साह के पुत्र सुधीर पर अपहरण का आरोप लगा था। लड़की के परिजन रिपोर्ट लिखवाने के लिए चौकी में गए लेकिन उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। इसके बाद पीड़ित परिवार एसपी से मिले तब जाकर केस दर्ज हुआ इसके बाद पुलिस ने लड़की को खोज निकाला और उसके न्यायालय में बयान भी दर्ज करवा दिए गए हैं।

तब लड़की के परिजन लड़की को घर नहीं लेकर जाना चाहते थे। लेकिन पुलिस लड़की को उसके घर जबरन भेजना चाहती थी। थानाध्यक्ष दुष्यंत कुमार ने पीड़ितों से कहा कि चौकीदार के पुत्र पर आरोप है तो वह चौकीदार का ही पक्ष लेंगे। इस दौरान थानाध्यक्ष ने शेल्टर होम की हकीकत बताकर लड़की के घरवालों को डराने का भी प्रयास किया, उन्होंने कहा ‘शेल्टर होम में लड़कियों का शोषण होता है। शाम होते ही बड़ी-बड़ी गाड़ियां शेल्टर होम के बाहर आती हैं और लड़कियों को अपने साथ बाहर लेकर जाती हैं। इसलिए लड़कियों को शेल्टर होम में नहीं रखना चाहिए। शेल्टर होम की लड़कियों के साथ कोई शादी भी नहीं करता आप चाहते हैं लड़की शेल्टर होम में जाएं? कानून दो धारी तलवार जैसा होता है दोनों तरफ से घाव देता है।’ फिर भी लड़की के परिजन उसे अपने साथ नहीं ले जाने पर अड़े रहे। इसी बीच इस बातचीत को किसी ने रिकॉर्ड कर लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जैसे ही ऑडियो वायरल हुआ जांच के आदेश दे दिए गए। जांच में ऑडियो को सही पाया गया जिसके बाद थानाध्यक्ष को सस्पेंड कर दिया गया।


गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर के बालिका गृह का फरवरी 2018 में सोशल ऑडिट हुआ। जिसमें बालिका गृह में रह रही बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था। इस बालिका गृह में 7-14 आयु वर्ष की 42 बच्चियां रहती हैं। जब इनकी मेडिकल जांच कराई गई तो 29 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई। 3 बच्चियों का गर्भपात कराया गया था। पुलिस ने संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया। कोर्ट में एक 10 साल की बच्ची ने आप बीती सुनाते हुए बताया कि जैसे ही सूरज डूबता था, शाम होती थी, वैसे ही लड़कियां डर जाती था। उनके साथ लगभग हर रोज रेप किया जाता था। रेप से पहले उन्हें इंजेक्शन आदि की सहायता से ड्रग्स दिए जाते थे, उन्हें भूखा रखा जाता था और उनके साथ मारपीट भी की जाती थी।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से राज्य सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। इसे लेकर बिहार सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए राज्यभर में चल रही 11 बालिका गृहों की सुरक्षा बेहद सख्त कर दी गई है। हर बालिका गृह में आठ सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं, जिससे बालिका गृह की ऑनलाइन निगरानी होती है।

गत् सात फरवरी को बिहार हाईकोर्ट 2018 के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की सही जांच न कर पाने के लिए राज्य सरकार से फटकार लगा चुकी है। ऐसे में एक पुलिस अधिकारी की बातचीत का ऑडियो लीक होने चलते नीतीश सरकार की कार्य प्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं।

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