[gtranslate]
Country

नीतीश ने तोड़ा उपेंद्र कुशवाहा का सपना  

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले है,लेकिन बिहार में सियासी बिसात अभी से बिछाई जा रही है।एक तरफ भाजपा अपनी तैयारी में जुटी हुई है,तो वहीं महागठबंधन में वापसी के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश भर का दौरा कर सियासी माहौल की थाह ले रहे हैं। खरमास के खत्म होने और मकर संक्रांति के बाद मुख़्यमंयत्री नीतीश अपनी कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं। इसे लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय कराने वाले उपेंद्र कुशवाहा के उप मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पानी फेर दिया है,लेकिन कांग्रेस और आरजेडी कोटे से मंत्री बनना तय माना जा रहा है वहीं, जेडीयू में अपनी पार्टी का विलय करने वाले उपेंद्र कुशवाहा के उपमुख्यमंत्री बनने का सपना टूट गया है।

 

दरअसल  कुछ दिन पहले कुशवाहा ने  कहा कि वे संन्यासी नहीं हैं कि सरकार में पद लेने से इनकार करें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी समाधान यात्रा के दौरान मधुबनी में कहा कि महागठबन में मंत्रिमंडल विस्तार तो तय है। सातों दल मिलकर मंत्रिमंडल पर फैसला करेंगे। नीतीश कुमार ने यह भी इशारा किया है कि बिहार में कैबिनेट का विस्तार तो होगा लेकिन आरजेडी और कांग्रेस से ही मंत्री बनेंगे। वहीं उपेंद्र कुशवाहा के उपमुख्यमंत्री बनने की कयासों पर विराम लगाते हुए नीतीश ने कहा कि पता नहीं ये बात कहां से आ गई और ये फालतू बात है। भाजपा के साथ सरकार में तो वह मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहते थे, लेकिन भाजपा के लोगों ने जबरदस्ती कर उपमुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए। इससे पहले तक एक ही उपमुख्यमंत्री हुआ करते थे और अब महागठबंधन सरकार में भी एक ही उपमुख्यमंत्री है। नीतीश के इस बयान को उपेंद्र कुशवाहा के लिए झटका माना जा रहा है।

भाजपा गठबंधन छोड़ महागठबंधन में वापसी करने के बाद नीतीश कुमार ने राजद कोटे से कुल 16 मंत्री बनाए गए थे, जिसमें सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री कुमार की मानें तो आरजेडी कोटे से इन्हीं दोनों पदों को भरा जाना है। कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले दोनों मंत्री उच्च जाति से हैं, जिसमें एक राजपूत और एक भूमिहार है। सुधाकर-कार्तिकेय के मंत्री पद छोड़ने से तेजस्वी यादव का ए-टू-जेड समीकरण खतरे में पड़ गया है, क्योंकि आरजेडी से यही दो मंत्री सवर्ण समुदाय से थे। ऐसे में आरजेडी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और बिहार में सियासी समीकरण को देखते हुए सवर्ण समाज से ही मंत्री बनाना चाहेगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार की महागठबंधन सरकार जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मंत्री बना सकती है,क्योंकि वो भूमिहार समुदाय की एकलौती विधायक हैं। पूर्व मंत्री कार्तिकेय सिंह को भी एक बार फिर से मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन उनके खिलाफ मामला है। वहीं आरजेडी में सुधाकर सिंह के इस्तीफा के बाद राजपूत समुदाय की जगह खाली है। तेजस्वी यादव राजपूत समुदाय को साधे रखने के लिए बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को कैबिनेट में जगह दे सकते हैं। इससे राजपूत कोटा तो पूरा हो जाएगा। इसके अलावा  लवली आनंद और आनंद मोहन के समर्थकों का साथ भी आरजेडी को मिलेगा।

बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी से 8 राजपूत विधायक बने हैं, जिसमें से अगर चेतन आनंद को किसी कारण कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाता है तो उसमें सुधाकर सिंह को छोड़कर किसी दूसरे राजपूत को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। हालांकि, आनंद मोहन को लेकर आरजेडी जिस तरह से मेहरबान है, उसके चलते चेतन की संभावना सबसे ज्यादा है। फिलहाल आरजेडी कोटे से 16, जेडीयू से 11, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के पास 1 और 1 निर्दलीय विधायक मंत्री बने थे। बिहार विधानसभा सदस्यों के आधार पर कुल 36 मंत्री बन सकते हैं, लेकिन अगस्त में 31 सदस्यीय कैबिनेट का गठन किया था, जिससे 2 मंत्रियों का इस्तीफा हो चुका है। इस तरह से अभी 7 मंत्री और अभी बन सकते हैं। कांग्रेस के 19 विधायक हैं और उसके 2 मंत्री बने थे। ऐसे में कांग्रेस नीतीश कैबिनेट में 2 मंत्री पद और चाहती है। आरजेडी से 2 मंत्री बनाने की बात सामने आ रही है, जिसके चलते कांग्रेस का कोटा बढ़ रहा है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD