जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कार्यकारी समिति ने पिछले कुछ दिनाें से छात्रों के चल रहे जबर्दस्त आंदोलन को देखते हुए फीस वृद्धि के बड़े हिस्से को वापस लेने का फैसला किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रह्मण्यम ने बुधवार शाम ट्वीट कर यह जानकारी दी है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक कल जेएनयू के दीक्षांत समारोह में शामिल होने आए थे । तब छात्रों में उनके खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था । तब छात्र हॉस्टल फीस में 300% बढ़ोतरी समेत कई मुद्दों को लेकर आंदोलनरत थे । इसी दौरान कैबिनेट मंत्री निशंक से छात्र नेताओं की बातचीत हुई थी । कल निशंक ने उनसे वादा किया था कि उनकी मांग मान ली जाएगी और आज निशंक ने अपना वादा पूरा कर दिया ।
फिलहाल हॉस्टल फीस और अन्य नियमों में काफी छूट दी गयी है। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को आर्थिक मदद देने की भी योजना का भी प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने छात्रों से कक्षा में वापस जाने की भी अपील की है। इस बीच, छात्र नेताओं ने कहा है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और वे सरकार की इस घोषणा से सहमत नहीं हैं।
जेएनयू शिक्षक संघ ने कहा है कि फीस वृद्धि वापस नहीं ली गयी है बल्कि उसमें केवल दिखावे का बदलाव किया गया है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष डी के लोबियाल और सचिव सुरजीत मजूमदार ने कहा है कि विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी ने जो फैसला लिया है वह गैर-कानूनी है क्योंकि उसने कार्यकारिणी परिषद के अन्य सदस्यों को बैठक की समय पर सूचना भी नहीं दी जिससे वे लोग उसमें भाग नहीं ले सके और चोरी छुपके यह फैसला लिया गया। इस बीच जेएनयू कर्मचारी संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि वो छात्रों से बातचीत कर कोई रास्ता निकाले।
गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को छात्रों को आश्वासन दिया था कि वे छात्रों की समस्या पर सकारात्मक ढंग से विचार करेंगे। इन छात्रों ने जेएनयू के तीसरे दीक्षांत समारोह में जबरदस्त धरना प्रदर्शन कर श्री निशंक का कई घंटों तक घेराव किया और पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुइ्र। पुलिस की लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हुए जिसके बाद उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया। यह छात्र हॉस्टल फीस में 300 प्रतिशत की वृद्धि और रात में 11:30 बजे के बाद हॉस्टल आने पर प्रतिबंध लगाए जाने और ड्रेस कोड लागू किए जाने का विरोध कर रहे हैं।