ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ पत्रकार महकार भाटी की बहन निशा भाटी की दहेज के लिए हुई हत्या को चार दिन हो गए। लेकिन अभी तक भी दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है। हालांकि, निशा भाटी के ससुराल वालों का कहना है कि निशा भाटी ने आत्महत्या की थी।
लेकिन निशा की डेडबाडी पर चोट के निशान मौजूद होने के बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न करना पुलिस की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करता है। इस मामले में प्रेस कल्ब नोएडा के अध्यक्ष पंकज पराशर द्वारा महिला आयोग को ट्वीट कर पूरी जानकारी दी गई है।
जिसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कार्यवाही करने को कहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर को निशा प्रकरण में बकायदा पत्र लिखकर तुरंत एक्शन लेने को कहा है।
लेकिन इसके बावजूद भी दिल्ली पुलिस कार्यवाही करने के नाम पर रहस्यमय चुप्पी साधे हुए है। जबकि महकार भाटी ने दिल्ली पुलिस पर धनबल के चलते कार्यवाही न करने का आरोप लगाया है। याद रहे कि इस मामले में महकार भाटी ने चार दिन पहले ही दिल्ली के न्यू अशोक नगर थाने में निशा के ससुराल वालों पर दहेज हत्या का मामला दर्ज कराने के लिए तहरीर दे दी थी।
जानकारी के अनुसार, ग्रेटर नोएडा के कठहैडा निवासी वरिष्ठ पत्रकार महकार भाटी की छोटी बहन निशा भाटी की 20 वर्ष पूर्व दिल्ली के दल्लूपुरा में शादी हुई थी। जहां उसको कोई संतान न होने के कारण निशा के पति ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद निशा पर ससुराल वालों की प्रताड़ना बढ़ने लगी थी। आए दिन उसे दहेज के लिए परेशान किया जाने लगा था।
पत्रकार महकार भाटी के छोटे भाई भाजपा नेता सुनील भाटी ने बताया कि कुछ दिन पहले उनकी बहन के साथ पति विनोद ने मारपीट की थी। तब विनोद ने गलती मानते हुए आगे से ऐसा ना करने की बात कही थी। लेकिन वह अपनी आदतों से बाज नहीं आया। आए दिन निशा के साथ मारपीट करने लगा। जिसमें उसका सहयोग उसके घरवाले भी करते थे।
सुनील भाटी के अनुसार गत 30 अप्रैल को उनकी बहन निशा का फोन आया था। जिसमें उसने बताया था कि उसके पति विनोद, ससुर दयाचंद, सास धर्मवती एवं विनोद की दूसरी पत्नी सुन्दरी उसके साथ मारपीट कर रहे हैं। इसके बाद महकार भाटी अपने एक चाचा के लडके के साथ निशा की ससुराल पहुंचे।
लेकिन जब वह निशा की ससुराल पहुंचे तो पता चला कि निशा की मौत हो चुकी है। यही नहीं बल्कि ससुराल वालों ने इतनी जल्दबाजी दिखाई कि निशा की डेडबॉडी को श्मशान घाट ले जाया जा चूका था। अगर थोडी-सी भी देर हो जाती तो निशा का अंतिम संस्कार करके सारे सबूत मिटा दिए जाते। इसके बाद महकार भाटी ने पुलिस को काफी खरी खोटी सुनाई। इसके बाद निशा का पोस्टमार्टम कराया गया।
सुनील भाटी बताते हैं कि निशा की डेडबॉडी पर चोट के निशान मौजूद थे। इसी के साथ गले पर भी नीला निशान बना हुआ था। हाथ में गहरा जख्म भी था। यह सब सबूत चीख चीख कर चिल्ला रहे हैं कि निशा ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गई है।
इसके बावजूद भी दिल्ली पुलिस का रिपोर्ट दर्ज न करना खाकी वर्दी पर सवालिया निशान लगा रहा है। इस मामले में दिल्ली पुलिस निशा के परिजनों को इंसाफ दिलाने की बजाय ससुराल वालों को बचाने मे जुटी है। पुलिस इस मामले में यह कह रही है कि जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ जाती है वह रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी।