तकनीक के इस दौर में कोई ऐसी चीज चीजे सामने आई जिसके शायद कभी उम्मीद भी नहीं की गई थी। इसी प्रकार ‘ड्रोन’ भी दुनिया के सामने आया। जिसकी लोकप्रियता तेजी से दुनियाभर में बढ़ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ड्रोन की मदद से कई काम बेहद आसानी से पूरे हो जाते हैं। जिसमें सामानों की डिलीवरी से लेकर फोटोग्राफी तक का काम किया जा रहा है।
इस समय बाजार में कई प्रकार के ड्रोन देखे जा हैं। लेकिन किसी भी चीज के फायदे और नुक्सान दोनों होते हैं, इसी प्रकार ड्रोन के बढ़ते प्रयोग से होने वाले गलत व गैरकानूनी कामों को रोकने के लिए सरकार नए नियम लाने की तैयारी कर रही है। क्योंकि पिछले कई समय से सीमा वर्ती क्षेत्रों में ड्रोनों को उड़ता हुआ देखा गया है। हाल में जम्मू में भारतीय वायु सेना पर अटैक करने के लिए ड्रोन का ही इस्तेमाल किया गया था। ऐसे में यह तय किया जाना जरूरी हो गया है कि किन परिस्थितियों या काम के लिए ड्रोन का इस्तेमाल होगा। केंद्र सरकार ने इसी साल इस दिशा में एक कदम भी उठाया है। क्योंकि जानकारी के मुताबिक देश में ड्रोन को किस स्तर तक संचालित किया जाएगा यह नियम अब तक लागू नहीं हुआ है। हालांकि साल 2021 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ‘अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम रूल, 2021’ (यूएएस) के तहत ड्रोन के इस्तेमाल के लिए कई गाइड लाइन भी जारी की थी।
ड्रोन के लिए पहले से भी हैं नियम
सरकार का कहना था कि वैश्विक मानकों के अनुरूप ड्रोन नियमों को विकसित करना आवश्यक है। जिसे देखते हुए नागरिक उड्डयन आवश्यकता (सीएआर) के माध्यम से इन ड्रोन के प्रयोगो से सम्बंधित नियम लागू किये गए। जिसके तहत ड्रोन को उड़ने के लिए ड्रोन के पंजीकरण और संचालन के लिए केवल कागज-आधारित प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के बजाय, भारत ने एक पूर्ण-डिजिटल प्रक्रिया तैयार किया। जिसके आधार पर उपयोगकर्ताओं को नागरिक उड्डयन मंत्रालय के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन, पायलट और मालिकों को पंजीकृत करना आवश्यक होगा।
नियम के अनुसार भिन्न- भिन्न प्रकार के ड्रोनों के लिए अलग नियम हैं-
नैनो ड्रोन्स : 250 ग्राम या इससे कम वजन वाले ड्रोन्स को नैनो ड्रोन्स कहा जाता है। जिसे सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार इन ड्रोन को उड़ाने के लिए किसी भी तरह के लाइसेंस या अनुमति की जरूरत नहीं है।
माइक्रो ड्रोन्स : 250 ग्राम से 2 किलो वाले ड्रोनों को माइक्रो कैटेगरी में रखा गया है। इस तरह के ड्रोन को चलाने वाले व्यक्ति के पास यूएएस ऑपरेटर परमिट-1 होना आवश्यक है। ड्रोन के पायलट को एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन करना होगा।
मीडियम व लार्ज ड्रोन्स : 25 किलो. से ज्यादा और 150 किलो. से कम वजन वाले ड्रोन्स मीडियम कैटेगरी में आते हैं। वहीं लार्ज कैटेगरी में आने वाले ड्रोन्स का वजन 150 किलोग्राम से ज्यादा होता है। तो इस प्रकार के ड्रोन को उड़ाने के लिए यूएएस ऑपरेटर परमिट-2 होना आवश्यक है।
नागर विमानन महानिदेशालय से लेनी होगी परमिशन
ड्रोन को उड़ाने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय की शर्तों के अनुसार ड्रोन्स को उड़ाने से पहले एयर ट्रैफिक और एयर डिफेंस कंट्रोल से अनुमति लेनी जरुरी है। साथ ही ऑपरेटर को सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम का पालन भी करना होता है। इसी के साथ यह आदेश भी दिया गया है कि ऑपरेटर परमिट-I और ऑपरेटर परमिट-II की वैलिडिटी 10 साल से ज्यादा नहीं हो सकती है।