मानसून के सुहाने मौसम आने के साथ ही उसके साथ आने वाले मच्छर लोगो के लिए परेशानी बन जाते है लोग पूरी शिदत्त से मच्छरों की रोकथाम के लिए उपाय करने शुरू कर देते है। हालांकि, मच्छरों की रोकथाम पर काम कर रहे एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीमारी वाले मच्छरों की रोकने के लिए इंसान को नए उपायो की बहुत ज़रूरत है। उनका मानना है कि फिलहाल दो ऐसे तरीके भी हैं जो बेहद कारगर साबित हो रहे हैं। दो साल पहले सिंगापुर और जकार्ता में मच्छरों को कम करने के लिए अनोखा प्रयोग किया गया था। जिसमें नर मच्छरों की बनावट में बदलाव करके उनकी बच्चे पैदा करने की ताकत को खत्म कर दिया था। इस तरह से मच्छरों की नई पीढ़ी पैदा होने से रोकी जा रही है।
वैज्ञानिकों को अब इससे भी अच्छा तरीका मिल गया है। वोल्बाशिया नाम का एक बैक्टीरिया है जो किसी न किसी कीड़े के शरीर में पैदा होता है ,पनपता है और फिर नई पीढ़ी को जन्म देकर इसका अंत हो जाता है।यह किसी भी कीड़े के अंदर हो सकता है जो उसको ज़ीका, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
अब वैज्ञानिक पहले मादा मच्छरों को वोल्बाशिया बैक्टीरिया से संक्रमित कराते हैं। फिर इन मच्छरों को खुली हवा में छोड़ते हैं। ये मादा मच्छर जब अंडे देती हैं, तो बैक्टीरिया नई नस्ल में पहुंच जाते हैं और मच्छरों की नई पीढ़ी में ज़ीका, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे वायरस आने से रोकते हैं। इससे बीमारी के ये खतरनाक वायरस नहीं फैल पाते है।
इस उपाय का सुझाव ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया था। दुनिया के तमाम वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर ये फार्मूला कामयाब हुआ, तो मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां को रोकने का ये एक करिश्माई फॉर्मूला साबित हो सकता है।