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घातक हो सकती है लापरवाही

कोरोना के घटते मामलों के साथ ही लोगों के चेहरे से मास्क भी उतरने लगे हैं। सामाजिक और राजनीतिक आयोजन भी होने लगे हैं। लोग बिना मास्क लगाए एक-दूसरे के पास जाने से अब हिचकिचा भी नहीं रहे और यही खतरे की घंटी है। विशेषज्ञ बार-बार चेता रहे हैं कि मास्क का कम होता उपयोग भारी पड़ सकता है

अगले साल यानी कुछ ही महीनों के भीतर देश के पांच अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों को लेकर राजनीतिक रैलियां भी शुरू हो गई हैं। लेकिन पिछले दो सालों से चली आ रही कोरोना की मार अभी खत्म नहीं हुई है। बल्कि कोरोना के नए म्युटेशन ‘ओमीक्रॉन’ ने चिंता बढ़ा दी है। इसके बाबजूद इन रैलियों में बड़ी संख्या में लोग बिना मास्क लगाए नजर आ रहे हैं। माहौल कुछ-कुछ वैसा ही बनने लगा है जैसा विनाशकारी डेल्टा लहर यानी महामारी की दूसरी लहर से ठीक पहले था। ऐसा तब है जब कि देश में ओमीक्रॉन अपने पैर पसारने लगा है। तेजी से फैलने वाले इस वेरिएंट के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। अब तक ओमीक्रॉन को लेकर कहा जा रहा था कि वो जानलेवा नहीं है, लेकिन ब्रिटेन से जो खबर आ रही है वो भारत की मुश्किलें बढ़ाने वाली है।

नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य वीके पॉल ने हाल ही में प्रेस कांफ्रेंस में चेताया था कि मास्क के उपयोग का घटता ग्राफ भारी पड़ सकता है। मास्क एक सार्वभौमिक वैक्सीन है जो हर वैरिएंट पर काम करती है। ऐसे में आजकल हर किसी के मन में एक ही सवाल घूम रहा है। सवाल ये कि जिन चुनावी राज्यों में खुलेआम ‘वायरस फेल रहा है वहां तो सब कुछ खुला हुआ है, लेकिन जहां पर भीड़ जुटने की कोई वजह नहीं दिख रही है, वहां पर कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियम कानून लागू हो रहे हैं। तो क्या कोरोना को चुनावों से परहेज है? या कोरोना अब अपना टारगेट तय कर चुका है? इन सवालों के जवाब खंगालें तो महाराष्ट्र में चुनाव नहीं, कोरोना है। उत्तर प्रदेश में चुनाव है, कोरोना नहीं? हर किसी की हैरानी की वजह कोरोना और देश की ये तस्वीरें हैं। चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर में ताबड़तोड़ रैलियां हो रही हैं, इनमें हजारों लोगों का हुजूम उमड़ रहा है, यहां पर ना सोशल डिस्टेंसिंग नजर आ रही है और ना ही लोग मास्क को अहमियत दे रहे हैं। बावजूद इसके यहां पर कोरोना नहीं दिख रहा है, लेकिन इसके उलट महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान सहित जहां चुनाव नहीं होने हैं वहां कोरोना का ओमीक्रॉन नामक संक्रमण फैलने लगा है। जिसने पूरे देश की चिंता बढ़ा रखी है।

दरअसल, कोरोना के घटते मामलों के साथ ही लोगों के चेहरे से मास्क भी उतरने लगे हैं। सामाजिक और राजनीतिक आयोजन भी होने लगे हैं। लोग बिना मास्क लगाए एक दूसरे के पास जाने से अब हिचकिचा भी नहीं रहे और यही खतरे की घंटी है। विशेषज्ञ बार-बार चेता रहे हैं कि मास्क का कम होता उपयोग भारी पड़ सकता है। वर्तमान में 59 प्रतिशत लोग पहन रहे हैं मास्क
‘इंस्टीट्यूूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन’ के आंकड़ों के मुताबिक मास्क का उपयोग दूसरी लहर से पहले मार्च के स्तर पर पहुंच गया है। वर्तमान में लगभग 59 प्रतिशत लोग मास्क पहन रहे हैं। दूसरी लहर ने तबाही मचानी शुरू की तो मास्क का उपयोग भी बढ़ गया और मई तक यह 81 प्रतिशत तक पहुंच गया था। बचाव के लिए नियमों की सख्ती का किया जाए पालन
विशेषज्ञ कहते हैं कि दोबारा वैसी स्थिति नहीं आए इसलिए जरूरी है कि मास्क का उपयोग जारी रखा जाए। कोरोना से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन किया जाए और जहां तक संभव हो शारीरिक दूरी को भी बनाए रखा जाए।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ओमीक्रॉन संक्रमित मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन का खतरा बना हुआ है। पूरे देश की तुलना में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ओमीक्रॉन संक्रमित मिले हैं। मुंबई में धारा 144 लगी हुई है। बार-बार ये आशंका जताई जा रही है कि ओमीक्रॉन भारत में तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार हो सकता है और ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तेजी से कोरोना वायरस पिछली दो लहरों में घर-घर पहुंचा ओमीक्रॉन उससे कई गुना ज्यादा तेजी से प्रसार की क्षमता रखता है। मुंबई और महाराष्ट्र की तस्वीर डरा रही है। लोग वैक्सीनेशन ड्राइव से भी दूरी बना रहे हैं। बीएमसी ने ऐसे 7 लाख लोगों का डाटा तैयार किया है जिन्होंने दूसरी डोज या तो नहीं ली है या फिर उनका नाम सिस्टम में अपडेट नहीं हुआ है। आने वाले खतरे को देखते हुए अब बीएमसी वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।

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