भारत में गरीबी का स्तर घटता जा रहा है, इस बात को हल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (निति) आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के आधार पर समझा जा सकता है।
लेकिन रिपोर्ट इस बात की जानकारी भी देती है कि गरीबी के स्तर में कमी आ जाने के बाद भी देश को प्रति व्यक्ति आय बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। हालाँकि पिछले एक दसक की तुलना में इस अब इसमें सुधार देखने को मिला है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दसक में प्रति व्यक्ति आय 80 हजार रुपयर थी जी अब बढ़कर 1.70 लाख हो गया है। जिसके आधार पर वर्तमान में भी सरकार का मानना है कि अब भी लगभग 80 करोड़ लोगों को गरीब हैं।
क्या है प्रति व्यक्ति आय
प्रति व्यक्ति आय किसी देश में रहने वाले लोगों की औसत आय होती है। इसे कैलेकुलेट करने के लिए हम उस देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को देश की कुल जनसँख्या से भाग कर देते हैं। इसके बाद जो संख्या सामने आती है वो ही प्रति व्यक्ति आय कहलाती है। इससे किसी भी देश या राज्य को लोगों की आय की स्थिति क्या है यह पता चलता है। साथ ही इससे इस बात का भी पता चलता है कि, लोग किन चीजों को खरीदने में पैसा खर्च कर रहे हैं।
गरीबी के स्तर में आया सुधार
नीति आयोग की रिपोर्ट में भारत में गरीबी का विभिन्न कोणों से अध्ययन किया गया है। जुलाई में जारी की गई इस रिपोर्ट के अनुसार देश के अलग-अलग राज्यों की गरीबी का अलग-अलग नजरिए से अध्ययन किया गया है । इस रिपोर्ट के मुताबिक, पांच साल में देश में बहुआयामी गरीबी में कमी आई है। वर्ष 2015 से 2016 में देश में 24.85 प्रतिशत लोग एकाधिक गरीबी का सामना कर रहे थे। हालांकि 2019 से 2021 तक यह दर घटकर 14.96 प्रतिशत हो गई है। यानी करीब 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आ गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में बहुआयामी गरीबी में कमी आई है। पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में बहु-गरीबी 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई। शहरी क्षेत्रों में मल्टी मॉडल गरीबी 8.65 प्रतिशत से घटकर 5.27 प्रतिशत हो गई है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 से 2019-21 की अवधि के दौरान बहुआयामी गरीबी सूचकांक 0.117 से घटकर 0.066 प्रतिशत हो गया है। गरीबी की तीव्रता 47 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत हो गयी है।
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