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पूर्वोत्तर के सात शिक्षकों को किया गया राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित

इस बार ”राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (2022)” के लिए पूर्वोत्तर के सात शिक्षकों चयनित किया गया है। इस पुरस्कार के लिए देश भर से कुल 46 शिक्षकों का चयन किया गया है। जिसमें सिक्किम के दो और मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और असम के एक-एक शिक्षक शामिल हैं। ये पुरस्कार 5 सितम्बर, शिक्षक दिवस के अवसर पर ”नई दिल्ली के विज्ञान भवन” में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किये जायेंगे।

शिक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, “शिक्षकों के महत्वपूर्ण  योगदान के लिए शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और अपने छात्रों के जीवन को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की शुरुआत कब हुई

शिक्षकों और उनके प्रयासों को बढ़वा देने के लिए इस पुरस्कार की शुरुआत 1958 में की गई थी। यह पुरस्कार प्रति वर्ष 5 सितम्बर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर वितरित किए जाते हैं। जो भारत में प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत मेधावी शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है जिन्होंने न केवल स्कूली शिक्षा का उद्धार किया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध किया है ।

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे जिनके जन्मदिन पर ये कार्यक्रम आयोजित किया जाता है

गौरतलब है कि डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे हैं। डॉ. राधाकृष्णन के नाम में पहले सर्वपल्ली को नहीं जोड़ा जाता था ये उन्हें विरासत में मिला। दरअसल राधाकृष्णन के पूर्वज ‘सर्वपल्ली’ नामक गांव में रहते थे बाद में वे तिरूतनी नाम के एक गांव  में आकर बस गए । लेकिन उनके पूर्वज चाहते थे कि उनके नाम के साथ उनके जन्मस्थल के गांव हमेशा याद रहने चाहिए । जिस कारण सभी परिजन अपने नाम के पूर्व ‘सर्वपल्ली’ धारण करने लगे थे। डॉ. राधाकृष्णन राजनीतिक क्षेत्र में आने से पहले ये  मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्यापक थे। उसके बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर कार्य किया और फिर देश के कई अन्य विश्वविद्यालयों में भी शिक्षण कार्य किया।  एक अचे शिक्षक के साथ तह ये र्शनशास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक और आस्थावान हिंदू विचारक भी  थे। यही  की इनके सम्मान  में इनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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