लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के विजयी रथ को रोकने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में विपक्षी दलों को एकजुट करने की तैयारी है। 23 जून को पटना में एक बड़ी बैठक होने वाली है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए में जान फूंकने की कोशिश शुरू कर दी है। पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों से बात कर लोकसभा चुनाव के लिए फिर से एक मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर), आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन पर वार्ता फिर से शुरू कर दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के साथ पार्टी के संबंधों की भी पुष्टि की है। इसी के साथ पार्टी जल्द ही उत्तर प्रदेश और बिहार सहित अन्य राज्यों में छोटे दलों के साथ बैठक करेगी और गठबंधन पर चर्चा करेगी।
दिल्ली में हुई हाल ही में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को सलाह दी थी कि क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बनाकर उन्हें एनडीए में समायोजित करने के लिए तैयार रहें। पीएम की इस सलाह को कई भाजपा नेताओं ने स्वीकार किया। गौरतलब है कि एनडीए से टीडीपी, उद्धव की शिवसेना, अकाली दल और नीतीश की पार्टी जेडीयू के बाहर निकलने से न सिर्फ भाजपा की छवि खराब हुई है, बल्कि एक ऐसा संदेश गया कि वह छोटे दलों के साथ गठबंधन के पक्षधर नहीं है। भाजपा अब इसे बदलना चाहती है। खबर है कि हाल में हुए जालंधर लोकसभा उपचुनाव के नतीजों का आकलन करने के बाद भाजपा नेतृत्व ने कृषि कानूनों को लेकर एनडीए का साथ छोड़ने वाले अकाली दल से संबंध सुधारने का फैसला किया है। दरअसल कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ जालंधर लोकसभा सीट पर मई में हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को 34.1 फीसदी वोट मिले। वहीं अकाली दल और बीजेपी के उम्मीदवारों को क्रमशः 17 .9 फीसदी और 15 .2 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में अकाली दल भी भाजपा के साथ अपने संबंध सुधारने के लिए पहल कर रही है। इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेडीएस के गठबंधन की चर्चा हुई थी।
लेकिन देवेगौड़ा की पार्टी ने वोक्कालिगा और मुस्लिमों का वोट बनाए रखने के लिए गठबंधन पर बात आगे नहीं बढ़ाई। लेकिन पिछले हफ्ते बालासोर ट्रेन हादसे पर पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की प्रशंसा की थी। उनके अलावा कई जेडीएस नेताओं ने भी सराहना की। इन बयानों से बीजेपी और जेडीएस के गठबंधन के संकेत मिल रहे हैं। वहीं कर्नाटक में मिली हार के बाद भाजपा ने टीडीपी के साथ संबंध बढ़ाना शुरू कर दिया है। एन चंद्रबाबू नायडू और अमित शाह के बीच इस मुद्दे पर बैठक भी हुई है।
नायडू ने पहले भी भाजपा के साथ अपने संबंधों में नरमी लाने के लिए कई प्रयास किए थे। हालांकि, भाजपा नेतृत्व ने तब दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। नायडू ने अब भाजपा के शीर्ष नेताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की। दोनों पक्षों ने स्पष्ट रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है। दरअसल इस साल के अंत में कई महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं। यहां भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से होगा। नायडू आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी को सत्ता से हटाकर सत्ता में वापसी के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने के इच्छुक हैं। वहां भाजपा तेलंगाना में तेजी से उभर रही है। यहां वह अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है।